चंडीगढ़ । कृषि क्षेत्र संबधी केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गए ऑर्डीनैंसों पर बीते दिन हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान पास किये गए प्रस्ताव के मुद्दे पर दोगली बोली बोलने के लिए शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पर बरसते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुखबीर बादल को चुनौती दी कि वह स्पष्ट शब्दों में यह बयान जारी करे कि उनकी पार्टी सशर्त भी इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री ने अकाली दल के अध्यक्ष को पूछा, ‘‘क्या आप प्रस्ताव के विरोधी हो या नहीं हो? क्या आप प्रस्ताव के हक में पूरी तरह खड़े हो या शर्तों के अंतर्गत? आखिरी तौर पर क्या आप इस तथ्य से सहमत हो या नहीं कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।’’ मुख्यमंत्री ने बीते दिन बैठक के अंत में कहा कि अकाली दल के प्रमुख को यही स्पष्ट सवाल किये थे।
बैठक के दौरान विचार-विमर्श संबंधी अकालियों और सुखबीर के झूठे दावों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने लोगों को गुमराह करने के लिए उनकी कड़ी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने बताया कि बीते दिन हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान पास किये प्रस्ताव के तीन नुक्तों में से दो नुक्तों पर अकाली दल के अध्यक्ष ने स्पष्ट तौर पर समर्थन दिया था। उन्होंने कहा कि बैठक के उपरांत जारी किये सरकारी बयान के द्वारा इस पक्ष को सही और निष्पक्ष तौर पर बताया गया और झूठ बोलने से तथ्य नहीं बदल सकते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मसले की सच्चाई यह है कि भाजपा ने बीते कल की वोटिंग के समय प्रस्ताव का पूरा विरोध किया जबकि सुखबीर ने शुरुआत में सीधा समर्थन करने से बचते हुए उनको दो बार यह स्पष्ट करने के लिए रोका कि ‘‘हम यह लिखित रूप में भी भेजेंगे.. कि आपके दो संकल्प.. न्यूनतम समर्थन मूल्य और पक्ष स्पष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री के साथ बैठक.. .. हम सर्वदलीय प्रस्ताव पर आपके साथ हैं.. .. इस पर क्या यह संघीय ढांचे के उल्लंघन संबंधी कानूनी राय चहेंगे।’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने याद करवाया कि वह यह कहने तक गए कि यदि आॅर्डीनैंस संघीय ढांचे की भावना केे उलट पाए जाते हैं तो,‘‘ हम इस पर भी आपके साथ हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे भी बढ़कर, सुखबीर द्वारा भाजपा की तरह न नहीं की गई जब उन्होंने (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) यह कहते हुए बात खत्म की, ‘‘भाजपा-शिरोमणि अकाली दल आंशिक तौर पर प्रस्ताव के हक में हैं आंशिक तौर पर विरोध में और उनके ऐतराज दर्ज किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह सब रिकार्ड में दर्ज है जिससे अकाली बैठक की वीडीयो के चुनिंदे हिस्से लीक करके आसानी से बच नहीं सकते।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अकाली अध्यक्ष प्रत्यक्ष रूप में राजनैतिक संकट में फंस गए हैं, जिसकी खातिर उनको जरूरत है केंद्रीय सत्ता हिस्सेदारी में अस्तित्व बनाए रखने के लिए भाजपा का समर्थन करने की और पंजाब में पार्टी वोट बैंक बचाने की। उन्होंने साथ ही कहा कि ‘‘यह लगता है कि सुखबीर प्रस्ताव के लिए अपनी शर्तों के साथ किया गया समर्थन वापस लेने के लिए भाजपा में अपने राजनैतिक अकाओं के दबाव में है परन्तु ऐसा जोरदार तरीके से करने की स्थिति में नहीं क्योंकि वह पंजाब में अकालियों को मिल रहा थोड़ा-बहुत समर्थन गँवाना नहीं चाहता।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के लोग एक से अधिक कई मौकों पर अकाली दल के दोहरे मापदण्डों को देख चुके हैं जिनमें हाल ही का सी.ए.ए. का मामला भी शामिल है। उन्हों इस संवेदनशील मुद्दे पर सुखबीर बादल को दोबारा यह पूछा कि वह राज्य और किसानों की तरफ हैं या नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘क्या वह किसानों के हक में स्टैंड लेंगे? क्या वह यह सोचते हैं कि कृषि के विषय पर केंद्र फैसले ले सकता है?’’ कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुखबीर को पंजाब के लोगों केे हित में एक बार सैद्धांतिक तौर पर पक्ष लेने की अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कल की ही बैठक में यह स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार द्वारा तीन साल पहले लिए गए फैसले सिर्फ फूड प्रोसैसिंग उद्योगों से सम्बन्धित कृषि मंडीकरण के फैसले लिए गए थे जिनके बारे में अकाली दल गलत तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में राज्य सरकार प्रांतीय विषय के मामले में इस क्षेत्र की भलाई के लिए कोई भी फैसला ले सकती है परन्तु केंद्र सरकार को इन शक्तियों को छीनने का कोई अधिकार नहीं है जो यह ऑर्डीनैंस जारी किये गए हैं।
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