चंडीगढ़। पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने आज नाबार्ड को अपनी नीतियां, प्रोग्राम और दिशा-निर्देश राज्यों की विशेष ज़रूरतों के अनुसार तैयार करने की अपील की। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि नाबार्ड को अपने कर्ज नियम पंजाब के अनुकूल बनाने चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नाबार्ड द्वारा पंजाब राज्य के लिए वर्ष 2020-21 के लिए 230664.81 करोड़ रुपए की कर्ज सामर्थ्य वाला स्टेट क्रेडिट सेमिनार करवाया गया। बाजवा द्वारा स्टेट क्रेडिट सेमिनार के मौके पर वर्ष 2021-22 के लिए नाबार्ड द्वारा तैयार किया स्टेट फोकस पेपर भी जारी किया गया।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए सुधार नियमों के अनुसार नाबार्ड ने पंजाब में प्राथमिकता क्षेत्र लेंडिंग (उधार) अधीन 230664.81 करोड़ रुपए के कर्ज देने का अनुमान लगाया गया। समूची कर्ज योजना में फ़सलीय कर्ज का हिस्सा 98211.12 करोड़ (कुल रकम का 43 फीसदी) रुपए, कृषि टर्म लोन 23899.46 करोड़ (10 फीसदी) रुपए, एम.एस.एम.ई. के लिए 42091.60 करोड़ (18 फीसदी) रुपए, सहायक कृषि गतिविधियों के लिए 15002.60 करोड़ (7 फीसदी) रुपए और कृषि बुनियादी ढांचे के लिए 6580.58 करोड़ (3 फीसदी) रुपए है।
बाजवा ने ऐसे ढांचे वाले और व्यापक दस्तावेज़ों को तैयार करने के लिए नाबार्ड के यत्नों की प्रशंसा की, जो राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हरेक उप-क्षेत्र के अधीन उपलब्ध संभावनाओं को दर्शाती है। उन्होंने अनुमानित कर्ज संभावना और लक्षित विकास की प्राप्ति के लिए राज्य सरकार से हर संभव सहायता का भरोसा दिया। उन्होंने बैंकों को कृषि आमदन में वृद्धि करने और वर्ष-2022 तक इसको दोगुना करने के उद्देश्य से पूंजीगत इकाईयां जैसे कि डेयरी, पोल्ट्री, मछली पालन और एग्रो-प्रोसेसिंग इकाईयों के लिए कर्ज मुहैया करवाने की सलाह दी। उन्होंने किसानों की आमदन में वृद्धि करने के लिए उनके खेतों में छोटी और व्यापारिक डेयरी इकाईयां, सूअर पालन, पोल्ट्री इकाईयों के साथ-साथ छोटे-छोटे बाग़ लगाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) विसवाजीत खन्ना ने एफपीओज जैसे किसानी और कृषि सहायक प्रोजेक्टों को उत्साहित करने के लिए नाबार्ड के यत्नों की भी प्रशंसा की और साथ ही नाबार्ड द्वारा अपने स्टेट फोकस पेपर में अत्याधुनिक कृषि की तरफ दिए ध्यान की प्रशंसा भी की।
पंजाब क्षेत्रीय कार्यालय नाबार्ड के चीफ़ जनरल मैनेजर जे.पी. बिंद्रा ने कहा कि मौजूदा स्टेट फोकस पेपर का विषय ‘अत्याधुनिक कृषि’ है। कृषि उत्पादकता में आई रुकावट, कम हो रहे पानी के स्तर, वातावरण सम्बन्धी चिंताएं और कामगारों की कमी संबंधी विचार करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा अत्याधुनिक कृषि अपनाने से उनको बढिय़ा लाभ मिलेगा और इन मामलों को काफ़ी हद तक हल किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए फ़सलीय विभिन्नता, फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, काश्त की लागत को घटाना और कृषि सहायक धंधों और कृषि से अलग सेक्टरों की गतिविधियों के ज़रिये किसानों के लिए लाभदायक मेहनताने को यकीनी बनाना भावी रणनीतियों में शामिल होगा।
पंजाब में नाबार्ड की नई पहलकदमियों पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने राज्य के 10 जि़लों में स्वं-सहायता समूहों के डिजीटलाईजेशन के लिए अपनी प्रमुख पहलकदमी ‘‘ई-शक्ति’’ की शुरूआत की है। कृषि क्षेत्र में सामूहिकता की ज़रूरत की वकालत करते हुए उन्होंने किसान उत्पादक संस्थाओं के प्रस्ताव संबंधी विस्तार से बताया। पंजाब में नाबार्ड द्वारा 103 एफ.पी.ओज़ को उत्साहित किया गया है। उन्होंने सभी हिस्सेदारों को 2020-21 के लिए अपनी कर्ज योजना तैयार करने के लिए स्टेट फोकस पेपर का प्रयोग करने की अपील की जिससे बैंक क्रेडिट और सम्बन्धित सेवाओं के द्वारा पंजाब के कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वपक्षीय विकास हो सके। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक ज्योति कुमार पांडे ने वित्तीय समावेशन और डिजिटल जागरूकता बढ़ाने के लिए नाबार्ड द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों संबंधी जानकारी दी।
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