चंडीगढ़।
आखिरकार पंजाब के सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह के खिलाफ रेत खनन की
नीलामी मामले में न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने इसकी जांच के लिए जस्टिस जेएस नारंग को नियुक्त किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसकी
रिपोर्ट उन्हें एक माह के भीतर देने को कहा गया है। इस बीच, राणा गुरजीत
ने निष्पक्ष व स्वच्छ जांच सुनिश्चित करने के मद्देनजर अपने इस्तीफे की
पेशकश की, हालांकि सीएम ने इसे ठुकरा दिया।
बता दें, रेत खनन को
लेकर राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा दिया था। गत दिवस पूर्व मुख्यमंत्री
प्रकाश सिंह बादल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से राणा का इस्तीफा
मांगने की मांग की थी। इसके अलावा आप नेता भी सरकार पर लगातार दबाव बना रहे
थे। आप नेता फूलका ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर राणा
गुरजीत सिंह को बर्खास्त करने और मामले की जांच की मांग की थी।
20
फीसद से ज्यादा खनन स्थलों की नीलामी में घोटाला सामने आया है। उद्योग एव
खनन विभाग के दस्तावेज इसकी पुष्टि करते हैं कि सिंगल बोलीदाता को ही 19
स्थलों की नीलामी कर दी गई। इन स्थलों की नीलामी में सरकार को कोई लाभ नहीं
हुआ है अलबत्ता रिजर्व प्राइज पर की गई इन स्थलों की नीलामी को लेकर अब
विभाग कटघरे में है। इनमें ज्यादातर स्थल फरीदकोट, जालंधर, लुधियाना व
गुरदासपुर के हैं। नियमानुसार सरकारी नीलामी की प्रक्रिया में किसी भी
प्रकार की नीलामी में कम से कम तीन बोलीदाताओं द्वारा बोली लगाई जानी चाहिए
तभी इसे वैध माना जाता है।
बीती 19 मई को पंजाब के विभिन्न जिलों
में रेत के खनन को लेकर की गई स्थलों की ऑनलाइन नीलामी में 89 बोलीदाताओं
ने विभिन्न खनन स्थलों के लिए बोली लगाई थी। सरकार ने इस प्रक्रिया को
इसलिए अपनाया था कि सारा कुछ पारदर्शी रहे। 89 बोलीदाताओं में से 50
बोलीदाता ही ऐसे निकले हैं जिन्होंने बोलियां लगाने के बाद संबंधित धनराशि
उद्योग विभाग को जमा करवाई है।
सफल बोलीदाताओं में से 39 बोलीदाताओं ने
बोली लगाने के बाद भी स्थलों के ठेके लेने में रुचि नहीं दिखाई। इनके
द्वारा बोली लगाने के लिए जमा की गई करीब 25 करोड़ रुपये की धनराशि विभाग
ने जब्त करवा ली है। साथ ही उन्हें नोटिस भेजे गए हैं।
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