चंडीगढ़। हालांकि
सी.एस.आर प्रोग्रामों के द्वारा राज्य में शिक्षा के मानक को ऊँचा उठाने
के लिए बड़ी स्तर पर कॉर्पोरेट कंपनियों को शामिल करने की कोशिशें की जा
रही है परन्तु इससे ही पंजाब सरकार अध्यापकों के लिए जि़ला काडर बनाने के
लिए विचार कर रही है जिससे इन अध्यापकों का सम्बन्धित क्षेत्रों में ही
रहना यकीनी बनाया जा सके और उन पर पढ़ाई के क्षेत्र में बढिय़ा प्रदर्शन
करने के लिए सामाजिक दबाव पड़ सके। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कृषि और कृषि
विभिन्नता के द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के अलावा शिक्षा और कौशल विकास
जैसे विभिन्न मुद्दों पर सैंटर फार रिर्सच इन रुरल् एंड इंडस्ट्रियल
डिवैल्पमैंट (सी.आर.आर.आई.डी) में शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों से विचार
विमर्श दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उपरोक्त बात कही राज्य
में, विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को दरपेश चुनौतियों पर
चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने प्राथमिकता के आधार पर शिक्षा का स्तर
ऊँचा उठाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया । कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि सरकार
स्कूलों और उच्च शिक्षा दोनों का मानक बढ़ाने के साथ साथ नौजवानों को
लाभप्रद रोजग़ार मुहैया करवाने के लिए आवश्यक हुनर से समर्थ बनाने के लिए
अवसरों की तलाश कर रही है।
मुख्यमंत्री ने खुलासा
किया कि राज्य सरकार नौजवानों को राज्य स्तरीय कौशल विकास सुविधाएंं
प्रदान करने के लिए सांय 5 बजे के बाद आई.टी.आईज़ का प्रयोग करने की योजना
बना रही है । उन्होंने कहा कि राज्य की कमज़ोर वित्तीय हालत के मद्देनजऱ
पहले ही उपलब्ध स्रोतों का अधिक से अधिक प्रयोग करके इन से लाभ उठाया जाना
चाहिए । इस दौरान सी.आर.आर.आई.डी ने रोजग़ार से सम्बन्धित मामलों में दख़ल
देने के लिए राज्य सरकार को एक उपयुक्त रोजग़ार नीति बनाने की सलाह दी ।
पंजाब
सरकार द्वारा वित्तीय समस्याओं के बावजूद राज्य में किसानों का अधिक से
अधिक कजऱ् माफ करने के लिए उठाये गए कदमों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री
ने कहा कि फ़सली विभिन्नता कृषि संकट को हल करने और भू जल के लगातार नीचे
जाने की समस्या से निपटने के लिए प्रमुख रास्ता है।
किसानों
को बचाने के लिए राज्य सरकार के यत्नों का समर्थन करने के लिए केंद्र
सरकार के समर्थन की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि
जल स्रोत संबंधीे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा मक्की /मक्की आधारित
ईथानोल बनाने की तरफ बढऩे की दी गई सलाह अच्छी है परन्तु मूल समस्या यह है
कि राज्य के पास इस लिए कम से कम समर्थन मूल्य देने के लिए फंड नहीं हैं ।
उन्होंने कहा कि केंद्र को ऐसी कम्पनियंा भेजनी चाहिए जो मक्की को ईथानौल
में तबदील करने में रूचि रखतीं हो।
उन्होंने कहा
कि उनकी सरकार राज्य में कृषि नीति पर काम कर रही है । उन्होंने
सी.आर.आर.आई.डी को कहा कि वह इसको ओैर संजीदा और प्रभावशाली बनाने के लिए
अपने सुझाव भेजें। उन्होंने सी.आर.आर.आई.डी के राज्य में जल नीति के संबंध
में भी सुझावों का स्वागत किया ।
सी.आर.आर.आई.डी
ने पंजाब में पानी रेगुलेटरी अथारटी की स्थापना करने का सुझाव दिया ।
मुख्यमंत्री ने बारिश के पानी की संभाल के लिए एक आक्रशित लहर तैयार करने
का न्योैता दिया। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि इससे बिजली की बचत होगी और पानी को बचाया जा सकेगा।
इस
अवसर पर सी.आर.आर.आई के चेयरमैन प्रोफ़ैसर आर.पी. बंबाह, कार्यकारी उप
-चेयरमैन डा. रशपाल मल्होत्रा सीनियर उप -प्रधान डा. एस.के. मंगल,
डायरैक्टर जनरल प्रोफ़ैसर सुखपाल सिंह, प्रोफ़ैसर सुच्चा सिंह गिल, आर.एस.
घुंमण और सतीश वर्मा ने भी विचार चर्चा में हिस्सा लिया। इस मौके पर
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव
तेजवीर सिंह भी उपस्थित थे।
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