चंडीगढ़| 'हरित क्रांति' वाला राज्य पंजाब अभी भी नोटबंदी के असर से उबर नहीं सका है।
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा यह घोषणा अचानक की गई थी और पंजाब एवं
इसके पड़ोसी राज्य हरियाणा में किसानों के लिए यह सबसे बुरा दौर था,
क्योंकि उस समय धान की खरीद चरम पर थी। किसान समुदाय के 20,000 करोड़ रुपये
से ज्यादा के लेन-देन किए जाने थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
1000 रुपये और 500 रुपये के
नोटों को अमान्य किए जाने के निर्णय पर अनिश्चतता, नए नोटों की अनुपलब्धता,
सहकारी बैंकों के काम बंद किए जाने और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक की
शाखाओं के आगे भारी भीड़ से दोनों राज्यों की कृषि अर्थव्यवस्था बुरी तरह
प्रभावित हुई।
होशियारपुर जिले के एक किसान बलजीत सिंह ने बताया,
"कमीशन एजेंटों(बिचौलियों) ने इस स्थिति का भरपूर फायदा उठाया। अधिकतर
किसान पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे थे और उन्हें वापस पैसे देने के लिए
पैसे नहीं थे। खरीदे हुए धान के पैसे देने में देरी हुई और इससे स्थिति
बेहद खराब हो गई।"
उन्होंने हजारों किसानों की तरफ से गुस्से का
इजहार करते हुए कहा, "इससे ऐसा लगता है कि मोदी सरकार को इसका अंदाजा नहीं
था कि इस निर्णय का भार हमारे कृषि प्रधान जैसे राज्यों में गरीबों, कर्ज
के बोझ तले दबे किसानों पर पड़ेगा।"
हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में
आठ नवंबर को नोटबंदी के निर्णय के बाद तीन महीनों तक बैंकों के आगे लंबी
कतारें देखी गईं और इस दौरान नए नोटों की आूपर्ति की गति काफी धीमी रही।
सागरपुर
जिले के किसान रणदीप सिंह ने आईएएनएस को बताया, "कई महीनों तक, किसानों को
मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि वे धान की कटाई के बाद अगली फसल की
बुवाई के लिए बीज और खाद नहीं खरीद पाए।"
देश के भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 1.54 प्रतिशत पंजाब केंद्र के कटोरे में लगभग 50 प्रतिशत खाद्यान्न की आपूर्ति करता है।
किसानों का कहना है कि नोटबंदी के बाद कृषि और बागवानी में लोगों का मनोभाव लगातार गिरा हुआ है।
दक्षिण
पश्चीमी पंजाब के बागवानी किसान अमरजीत सिंह ने कहा, "कृषि अर्थव्यवस्था
नोटबंदी के बाद उबर नहीं पाई है। मनोभाव अभी भी गिरा हुआ है। इस निर्णय के
बाद बागवानी क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ। किन्नो जैसे खट्टे फल बाजार
में थे और रातोंरात इसका आर्डर रद्द कर दिया गया।"
पंजाब में
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने कर्ज के बोझ
तले दबे किसानों के दो लाख रुपये तक के ऋण माफ करने का वादा किया है। इससे
सरकारी खजाने पर 9500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
आईएएनएस
मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है, गांधी किसी से माफी नहीं मांगता - राहुल गांधी
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के घर में भाजपा का विजय डंका बज गया - मोदी
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेस में गलत बयानी की और विषय पर कुछ नहीं बोला - भाजपा
Daily Horoscope