चंडीगढ़। सेक्टर-23 में श्री गोल्ड टेस्टिंग लैब में घुसकर एक ज्वेलर को गोली मारकर कैश लूट के प्रयास की वारदात को अंजाम देने के आरोपी दो लोगों को जिला अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। बरी होने वाले युवक रोहित व परगट हैं। इस मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस केस में आरोपियों द्वारा जितनी प्लानिंग लूट के लिए बनाई थी, उससे कई ज्यादा प्लानिंग पुलिस ने केस को सॉल्व दिखाने में बनाई। बेगुनाह को आरोपी बना दिया गया। आरोपियों की सीसीटीवी फुटेज ना लगाकर उनका रास्ता साफ कर दिया।
रोहित के वकील हरीश भारद्वाज ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने रोहित को झूठा फंसाया था। वह बेगुनाह था उसने आरोपियों को पकड़ने में पुलिस की मदद की थी। लेकिन पुलिस ने अपने केस को साबित करने के लिए उल्टा उसे ही फँसा दिया। अपनी एफआईआर में पुलिस ने रोहित को वारदात वाली रात करीब 10 बजे गिरफ़्तार करने का दावा किया था। जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। रोहित वारदात स्थल से भागा ही नहीं था।
यह बात ज्वेलरी शॉप के मालिक और मामले में शिकायतकर्ता ने खुद अदालत के समक्ष कबूली है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कोर्ट के समक्ष यह भी आया कि रोहित मौके वारदात से खुद पुलिस को उसी दिन शाम 5 बजे मनीमाजरा के रहने जसप्रीत सिंह के घर लेकर गया था। क्योंकि जसप्रीत के कहने पर ही रोहित परगट से मिला था। जसप्रीत ने ही रोहित को परगट के सोने बेचने की बात कही थी। हालांकि तब तक आरोपियों ने लूट की कोशिश मामले में पुलिस के हाथ कोई सबूत न लगे। इसलिए आरोपियों ने जसप्रीत सिंह को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी पुलिस ने रोहित को आरोपी बनाया और उसके पास से पिस्टल की रिकवरी दिखाई थी।
वकील हरीश भारद्वाज ने बताया कि रोहित कमीशन पर काम करता था। इसीलिए उसका आरोपियों से संपर्क हुआ था। जसप्रीत ने ही रोहित का परगट से संपर्क करवाया था। लेकिन, परगट जब सेक्टर 23 स्थित ज्वेलरी शॉप में गहने बेचने के लिए गया तो ज्वेलरी शॉप के मालिक ने गहने लेने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि वह इस तरह गहने नहीं लेते, जिसके बाद शॉप मालिकों ने रोहित को बुलाया था। इतने में पहले से प्लानिंग बनाए बैठे आरोपियों ने हमला कर दिया और मौके से फरार हो गए। रोहित वही पर खड़ा रहा और पुलिस की जांच में पूरा सहयोग किया था।
वहीं पुलिस ने मामले में कोई सीसीटीवी फुटेज भी केस फाइल में नहीं लगाई। जिससे कि साबित हो सके कि आरोपी वहाँ आए थे। जो फुटेज लगाई गई वह कोर्ट में चल नही पाई।
जबकि सीसीटीवी कैमरों में आरोपी साफ दिख रहे थे। इसके पीछे पुलिस का मकसद साफ था। वह बस केस को सॉल्व दिखाना चाहती थी। अगर वह सीसीटीवी की फुटेज केस फाइल में लगाती तो उसे साफ साबित हो जाता कि वारदात के घटित होने के बाद रोहित भागा नहीं था। वह वहीं पर था। वह किसी भी तरह की साजिश में शामिल नही था। सीसीटीवी फुटेज ना होने के चलते अन्य आरोपी भी सामने नही आ सकें। वहीं परगट को ज्वेलरी शॉप के मालिक व शिकायतकर्ता ने पहचानने से इनकार कर दिया। जिसके चलते दोनों को बरी किया गया है।
क्या था मामला: वर्ष 2020 में दायर मामले के अनुसार वारदात वाले दिन ज्वैलरी शॉप पर सेक्टर-35डी के मकान नंबर-3249 निवासी मालिक संजय और उसका भाई दादा देवगन बैठे हुए थे। सोना बेचने के बहाने तीन युवक ज्वैलरी शॉप में घुसे। उनमें से एक के हाथ में बैग भी था। पहले तो वह कहने लगे कि उनके बैग में सोना है, जो उन्होंने बेचना है। लेकिन बाद में उन्होंने ज्वैलरों को दुकान में रखा सारा सोना एक बैग में डालने को कहा। जिस पर दादा चौहान ने विरोध किया तो उन तीनों में से एक ने दादा पर दो फायर कर दिए, जो गोली दादा की बायनी बाजू को छूते हुए निकली।
इसी दौरान दादा के भाई संजय ने शोर मचाना शुरू कर दिया और उन्होंने एक हमलावर को पकड़ भी लिया था। लेकिन, वह धक्का देकर अपने अन्य दो साथियों संग फरार हो गया। सेक्टर-17 थाना पुलिस ने मामले में सेक्टर-15 के मकान नंबर-1299 में रहने वाले रोहित को आरोपी के तौर पकड़ने का दावा किया था। सेक्टर-17 थाना पुलिस ने अज्ञात लुटेरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307, 392, 511 व आर्म्स एक्ट-25-54-59 के तहत केस दर्ज किया था।
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