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हथियारों और टैंकों से बिखेरा देशभक्ति का रंग

चंडीगढ़ । मिलिट्री कार्निवल के दूसरे दिन हवालदार ईशर सिंह के उत्साहजनक आखिरी शब्दों ने आए दर्शकोंं की भावनाओं को आखिरी जुनून तक पहुँचा दिया।
इस तीन-दिवसीय कार्निवल का उदेश्य फ़ौज के संस्कृति और विरासत की झलक पेश करते हुए नौजवानों में देशभक्ति की भावना पैदा करना है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की पुस्तक ‘सारागढ़ी एंड’ द डिफेंस ऑफ की समाना फोर्टस: द 36वें सिक्खस इन द तीराह कंमपेन 1897 -98’ से प्रेरित होकर आयोजित किये लाईट और साउंड शो द्वारा तैयार किये डिजिटल सैट के साथ बड़े जोशीले और शानदार ढंग से सारागढ़ी की ऐतिहासिक जंग को फिर सुरजीत किया। यह शो 50 फुट की एल.ई.डी स्करीन पर प्रदर्शित किया गया।

इस जंग के दौरान भारतीय मिलिट्री इतिहास में सबसे मशहूर अन्तिम पांडुलिपियों की सिख रेजीमेंट की चौथी बटालियन के 36 सिखों में से 22 योद्धओं की बहादुरी को देखने का मौका मिला जिन्होंने 10,000 से अधिक पशतून औरकज़ायी कबीलों के हमलों के दौरान समर्पण करने की जगह मौत को गले लगाया था।

इस शो को केशव भ्राता के साथ मिलकर लिखने वाले हरबखश लत्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा लिखी इस पुस्तक ने मुझे इस संबंधी लिखने के लिए प्रेरित किया। शो देखने के बाद अपनी भावनाओं को काबू करने की कोशिश कर रहे शहर के एक स्कूल विद्यार्थी अरमान ने कहा कि इस शो ने 12 सितम्बर 1897 की लड़ाई उसकी आँखों के सामने फिर सुरजीत कर दिया चाहे यह वास्तव में यह जंग एक सदी से पहले हुई थी।

इस एक घंटे के लाईट एंड साउंड शो में 45 कलाकारों / अदाकारों ने काम किया जिन्होंने मुख्य तौर पर ग्रामीण पंजाबी भाषा का प्रयोग किया। यही भाषा उन्होंने लडऩे वाले सिपाहिओं द्वारा बोली जाती थी। इस शो में पश्तून सिपाहिओं द्वारा ठेठ उर्दू भाषा और ब्रिटिश सिपाहिओं द्वारा अंग्रेज़ी और हिंदी को मिलाकर बोली गई।

फ़ौज के दूसरे रिटायर्ड अफसरों के अलावा शो में मेजर जनरल आर्मी सर्विस कोर वेस्टर्न कमांड आर.एस. पुरोहित ने भी सम्मिलन किया।

इसके अलावा कार्नीवल में हथियारों की प्रदर्शनी ने नौजवानों में गौरव और प्राप्ति की भावना पैदा की। इस प्रदर्शनी में भारतीय हथियारबंद सेनाओं के तोपखाने, सिपाहिओं की पोशाकों, इंजीनियरिंग के उत्तम नमूने, 2008 के कमिशनड टी 90 टेक, स्वीडन द्वारा बनाई बोर्फोस बन्दूक, होवीटजरज़ और मध्यम स्तर की मशीनगनें (एम.एम.जीज़) शामिल थी।

हमारी फ़ौज की तकनीकी तरक्की और रक्षा करने की तेज रफ़्तार को रेखांकित करते हुए, कारगिल जंग के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले साजो-समान में कुआंटम सनीफर, नॉन लिनियर जंकट डिटेक्टर, और इंडियन कॉम्बैट व्हीकल शामिल हैं।

जंग के दौरान फ़ौज द्वारा इस्तेमाल की जाती 12 सीटों वाली किशती जो कि नॉन रेडियो -एक्टिव आधारित विस्फोटक की पहचान के अलावा धमाके करने वाली सामग्री की पहचान करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इस किश्ती की प्रदर्शनी ने दर्शकों में हैरानी की भावना पैदा की।




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Web Title-Pathetic patriotism with arms and tanks
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