चंडीगढ़ । भारत से कनाडा में शरण की चाह रखने वालों की संख्या में गत दो वर्षो में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इनमें से अधिकतर सिख हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसके साथ ही कनाडा सरकार की एजेंसियों ने स्वीकार किया है कि 'पंजाब क्षेत्र में अलगाववाद के लिए समर्थन फिर से उभरा है।'
कनाडा बार्डर सर्विस एजेंसी(सीबीएसए) की खुफिया एवं विश्लेषण खंड द्वारा संकलित 'रिफ्यूजी क्लेम्स एनालिसिस रिपोर्ट(आरसीएआर)' से पता चला है कि 2018 के प्रथम छह माह में शरण पाने के लिए 1805 आवदेन आए, जोकि 2017 में पूरे वर्ष के कुल आवेदन 1487 से ज्यादा हैं।
इन आवेदनों में कोई कमी होने के संकेत भी नहीं हैं। कनाडा प्रशासन इस वर्ष 4200 आवेदनों की उम्मीद कर रहा है, जो कि 2016 के आंकड़ों से करीब 720 प्रतिशत और 2017 के आंकड़ों से 285 प्रतिशत ज्यादा होगा।
आएसीएआर के अनुसार, "आवेदन सभी सीबीएसए क्षेत्रों के लिए भरे गए हैं, अधिकतम आवेदन 1363 क्यूयूई(क्यूबिक प्रांत) क्षेत्र के लिए भरे गए हैं। इसमें से खासकर मांट्रियल आव्रजन के लिए 898 आवेदन भरे गए हैं। इन आवेदकों में 1088 पुरुष आवेदक और 717 महिला आवेदक शामिल हैं।"
रिपोर्ट के अनुसार, "2018 के मध्य तक प्राप्त 1800 आवेदन 2017 में किए गए कुल आवेदनों को पार कर चुके हैं। भारतीय नागरिकों ने सबसे ज्यादा 53 प्रतिशत आवदेन इनलैंड कार्यालयों(1,145) के लिए और 34 प्रतिशत एयरपोर्ट मोड(614) के लिए किए गए हैं। अधिकतर आवेदकों की जन्मस्थली पंजाब, हरियाणा, गुजरात और तमिलनाडु में है।"
भारत में 2015, 2014, 2013 में इससे संबंधित क्रमश: 379, 292 और 225 आवेदन किए गए।
आरसीएआर की रिपोर्ट में पंजाब में अलगाववाद के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। कनाडाई अधिकारियों ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है कि भारत सरकार और सिख आबादी के बीच तनाव बढ़ रहा है और इसके साथ ही पंजाब में अलगाववाद की भी वापसी हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, "पंजाब क्षेत्र में अलगाववाद को दोबारा समर्थन दिए जाने की चिंता से भारत सरकार और देश के सिख आबादी के बीच तनाव बढ़ रहा है। 1970 से 1990 के बीच पंजाब में सिख राज्य की स्थापना के लिए खालिस्तान आंदोलन चला था। स्वतंत्रता के प्रश्न पर 2020 में वैश्विक सिख प्रवासियों के बीच अनाधिकारिक जनमत संग्रह का समकालिक समर्थन का प्रस्ताव दोबारा उभर कर सामने आ रहा है।"
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों के बीच इस बात पर बहस हो रही है कि सिख प्रवासी क्षेत्र के स्वतंत्रता आंदोलन को फिर से जिंदा करना चाहते हैं। यह चिंता प्रत्यर्पण आग्रह की रिपोर्ट और संदिग्ध खालिस्तानी आतंकवादियों की गिरफ्तारी से झलकती है।
--आईएएनएस
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