चंडीगढ़। शराब के कई ब्रांडों द्वारा राज्य में घटिया दर्जे की शराब बेची जा रही है क्योंकि यह पाया गया है कि शराब में मौजूद अल्कोहोल की मात्रा 2 से 12 फीसदी कम है। यह जानकारी फूड और ड्रग प्रबंधन, पंजाब के कमिश्नर के.एस पन्नू ने दी। इस संबंधी और जानकारी देते हुए पन्नू ने बताया कि डायरैक्टोरेट, फूड और ड्रग प्रबंधन, पंजाब ने राज्य में बेची जा रही देसी शराब और भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) का अध्ययन किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि कई ब्रांडों द्वारा लेबल पर दिखाई गई जानकारी के मुताबिक अल्कोहोल की मात्रा वाली शराब नहीं बेची जा रही है। इसके साथ ही कई ब्रांड सस्पैंडेड मैटर के कणों वाली शराब भी बेच रहे हैं। देसी और विदेशी शराब के ठेकेदारों और शराब उत्पादकों को ताडऩा करते हुए पन्नू ने कहा कि बोतल पर लगे लेबल के अनुसार शराब की गुणवत्ता को हर हाल में यकीनी बनाया जाना चाहिए और बोतल के लेबल पर दिखाए विवरणों और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट, 2006 के अंतर्गत निर्धारित मापदण्डों के मुताबिक ही शराब की बिक्री होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि खरड़ स्थित स्टेट फूड लैब हर किस्म की शराब की गुणवत्ता की जांच करने में समर्थ है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक से अधिक लोगों को सामाजिक समारोहों के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली शराब, स्टेट फूड लैब खरड़ या बायोटैक्रोलोजी इनक्युबेटर लैब, फेज-5, मोहाली से जांच करवाने के बाद ही उपयोग करनी चाहिए। पन्नू ने आगे कहा कि लोगों को कानून के मुताबिक अच्छी गुणवत्ता के खाने और पीने वाले पदार्थों की उपलब्धता लोगों का अधिकार है और लोगों को कानून के मुताबिक अच्छी किस्म और बढ़िया दर्जे के खाद्य पदार्थ मुहैया करवाना फूड सेफ्टी और ड्रग प्रबंधन विभाग की जि़म्मेदारी है।
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