अटारी। करतारपुर गलियारा परियोजना पर भारत व पाकिस्तान पक्षों के बीच पहले चरण की बैठक के दौरान नई दिल्ली ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि जब तक देश आतंकवाद को समर्थन देना जारी रखेगा, तब तक द्विपक्षीय संवाद फिर से शुरू नहीं होगा। गुरुवार को बैठक के दौरान वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने अपने पाकिस्तानी समकक्षों से हाथ तक नहीं मिलाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यहां संयुक्त चेक-पोस्ट सम्मेलन हॉल में हुई बैठक के गुप्त सूत्रों ने कहा कि बैठक बहुत ही पेशेवर और व्यावसायिक तरीके से आयोजित की गई थी।
पहले चरण की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस.सी.एल. दास ने कहा, "बैठक में हाथ नहीं मिलाया। मैंने नमस्ते किया। बस खत्म।"
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल द्वारा स्वागत किए जाने की रिपोर्ट को खारिज करते हुए दास ने कहा, "हमने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था। यह एक बहुत ही केंद्रित, पेशेवर और व्यावसायिक तरीके की बैठक थी।"
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में बैठक आयोजित न करने का कारण एक स्पष्ट संदेश देना था कि मौजूदा हालात में दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय संवाद नहीं हो सकता।
पुलवामा आतंकी हमले से पहले ये बैठक मूल रूप से नई दिल्ली में आयोजित की जानी थी।
दास ने कहा, "यही कारण था कि हमने नई दिल्ली में बात नहीं की। हम स्पष्ट संकेत देना चाहते थे कि ये द्विपक्षीय वार्ता का पुनरारंभ और रिश्तों का सामान्यकरण नहीं है।"
उन्होंने कहा कि बैठक सिर्फ करतारपुर गलियारा परियोजना पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी।
उन्होंने कहा, "हम केवल हमारे लोगों के लिए (करतारपुर मुद्दे पर) हमारी परिपक्वता और हमारी संवेदनशीलता दिखाना चाहते थे। यह एक ऐतिहासिक व शुभ मौका था। अगर हम लोगों की भावनाओं का सम्मान नहीं करते तो यह हमारी सरकार को बहुत अलग तरीके से प्रतिबिंबित करेगा।"
दास ने कहा, "इसलिए हमने एक साफ और स्पष्ट रेखा खींची। संदेश बहुत ही जोरदार और स्पष्ट था। बैठक नई दिल्ली में नहीं हुई। हम यहां सीमा पर बात करने के लिए आए।"
--आईएएनएस
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