भाजपा-शिअद सरकार के दौरान साल 2015 में बेहबल कलां और कोटकपुरा गोलीबारी
के मृतकों की याद में स्मृति स्थल बनाने का उनका वादा भी भाजपा-शिअद के लिए
नकारात्मक साबित हुआ।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि मतपरिणाम स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि
मतदाता शिअद-भाजपा सरकार के दौरान 2015 में हुई घटना को भूल चुके हैं
जिससे सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुई थीं।
उनके 1984 दंगों के मुद्दों की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के कारण
उन्हें वोटों के ध्रुवीकरण का सामना करने मदद मिली।
(आईएएनएस)
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