राजनीतिक द्वेष का इशारा, पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल, हाई कोर्ट ने कहा— बयान के अलावा कोई सबूत नहीं
चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वड़िंग के पूर्व निजी सहायक रहे गुरचरण सिंह को आज पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली। 3.208 किलोग्राम अफ़ीम की कथित बरामदगी मामले में उन्हें अग्रिम ज़मानत प्रदान की गई है। यह फ़ैसला माननीय न्यायमूर्ति संदीप मोदगिल की एकल पीठ ने सुनाया। याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता सविता सिसोदिया ने पक्ष रखा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गौरतलब है कि यह मामला 2 अप्रैल 2025 को श्री मुक्तसर साहिब में दर्ज एफआईआर संख्या 53 से जुड़ा हुआ है, जिसमें पुलिस ने अफ़ीम की बरामदगी जतिंदरपाल सिंह उर्फ बब्बू से दिखाई थी। बब्बू के बयान के आधार पर ही गुरचरण सिंह का नाम जोड़ा गया था, जबकि पुलिस के पास इस कथित संलिप्तता का कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में दलील दी कि गुरचरण सिंह का न तो घटनास्थल से कोई संबंध है और न ही पुलिस ने उनके पास से कुछ बरामद किया। उनका कहना था कि पूर्व पीए का नाम जानबूझकर एक साजिश के तहत घसीटा गया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि गुरचरण सिंह, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष राजा वड़िंग के पूर्व सहयोगी रह चुके हैं—जो इस मामले को राजनीतिक द्वेष की दिशा में इंगित करता है।
याचिका में यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता के भाई के एक पुराने कानूनी मामले में जतिंदरपाल सिंह विपक्षी पक्ष के अधिवक्ता के क्लर्क के रूप में शामिल था। जब गुरचरण सिंह ने इस पर आपत्ति जताई, तो उसी दिन से दोनों के बीच कटुता शुरू हुई। दावा किया गया है कि यह मामला उसी निजी रंजिश की परिणति है।
न्यायालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि सह-आरोपी के बयान के अतिरिक्त अभियोजन पक्ष के पास गुरचरण सिंह के विरुद्ध कोई ठोस सामग्री नहीं है। उन्होंने जांच में सहयोग करने की इच्छा भी दर्शाई है। ऐसे में कोर्ट ने उन्हें अग्रिम ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
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