चंडीगढ़। राज्य सरकार का प्रमुख प्रोग्राम तंदुरुस्त पंजाब मिशन रसायनिक खादों का सही ढंग से प्रयोग करके मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को कायम रखने में सफल रहा है। यह जानकारी तंदुरुस्त पंजाब मिशन के डायरैक्टर स. काहन सिंह पन्नू ने दी। इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए स. पन्नू ने बताया कि यह देखा गया है कि राज्य में किसान पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना की सिफारिशों से अधिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं। इसलिए यह मामला पिछले तीन फसलों के दौरान तंदुरुस्त पंजाब मिशन के अधीन पहल के आधार पर लिया गया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नतीजे के तौर पर 2017 में खरीफ के दौरान युरिया की खपत जोकि 15.43 लाख टन थी, 2018 में खरीफ के दौरान 86000 कम होकर 14.57 लाख टन रह गई। 2019 में खरीफ के दौरान युरिया की खपत 82000 टन कम होकर 13.75 लाख टन ही रह गई। तंदुरुस्त पंजाब मिशन की शुरुआत के दो सालों के अंदर-अंदर युरिया की खपत 168000 टन कम हो गई और इससे किसानों को 100.80 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
स. पन्नू ने आगे बताया कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की सिफारिशों के मुताबिक, धान की फ़सल पर डाईमोनिअम फॉस्फेट (डी.ए.पी.) बरतने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि किसान गेहूँ की फ़सल में पहले ही डी.ए.पी. मिला देते हैं जिससे खेत में एक साल तक फॉसफोरस बरकरार रहता है। फिर भी पंजाब के किसान अनजाने में और अनावश्यक ही धान की फ़सल में डी.ए.पी. का प्रयोग कर रहे थे। इसलिए खरीफ 2018 के दौरान गाँवों में ऑडियो विजुअल प्रस्तुतीकरण के द्वारा और कैंप लगाकर एक विशेष जागरूकता मुहिम चलाई गई थी।
नतीजे के तौर पर, डी.ए.पी. की खपत जो कि खरीफ 2017 में 2.21 लाख टन दर्ज की गई थी, खरीफ 2018 में 46000 टन कम होकर 1.75 लाख टन रह गई। इसी तरह खरीफ, 2019 में डी.ए.पी. की खपत 1.42 लाख टन रह गई, जिससे खरीफ, 2019 में 33000 टन की कुल कमी आई। दो सीजऩों में डीएपी के प्रयोग में कुल कटौती 79000 टन रही। इस तरह किसानों ने खरीफ 2018 में 115 करोड़ रुपए और साल 2019 में 82.50 करोड़ रुपए की बचत की और इस तरह डी.ए.पी. का प्रयोग न करके अब तक 197.50 करोड़ रुपए बचा लिए गए।
युरिया पर 100.80 करोड़ रुपए और डी.ए.पी. पर 197.50 करोड़ रुपए की बचत के साथ तंदुरुस्त पंजाब मिशन किसानों के तकरीबन 300 करोड़ रुपए बचाने के साथ-साथ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने में सफल रहा है। पन्नू ने कहा कि खादों के प्रयोग में की गई कटौती के अलावा खाद मिलाने वाले कामगारों की बचत भी किसानों को हुई है। रसायनिक खादों के प्रयोग को घटाने के तरीकों का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को खाद के सर्वोत्तम प्रयोग के लाभों बारे जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर प्रिंट मीडिया में इश्तिहार छपवाए गए हैं और इफको द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मुहिम चलाई गई।
इसके अलावा, किसानों और खादों के डीलरों के साथ मिलकर बड़ी संख्या में क्षेत्रीय कैंप लगाए गए थे जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसान खाद की सिफ़ारिश की मात्रा से अधिक खाद का प्रयोग न करें। इसके अलावा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए टी.वी. और रेडियो टॉक करवाए गए। उन्होंने कहा कि सचिव, कृषि विभाग द्वारा खाद कंपनियाँ और कृषि विभाग के जि़ला मुखियों के साथ इस मुहिम की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर मीटिंगें भी की गई।
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