दिनकर गुप्ता ने आतंकवाद के समय के दौरान लुधियाना, जालंधर और
होशियारपुर जि़लों के पुलिस प्रमुख (एस.एस.पी.) के तौर पर सात साल से अधिक
सेवा निभाई। उन्होंने डी.आई.जी.(जालंधर रेंज), डी.आई.जी.(लुधियाना रेंज),
डी.आई.जी.(काऊंटर इंटेलिजेंस), पंजाब और डी.आई.जी.(इंटेलीजैंस) पंजाब के
तौर पर 2004 तक सेवा निभाई है।
दिनकर गुप्ता ने ए.डी.जी.पी.
ऐडमनिस्ट्रेशन एंड कम्युनिटी पुलिसिंग (2015-17), ए.डी.जी.पी. प्रोविज़निंग
एंड माडर्नाइज़ेशन (2014-15), ए.डी.जी.पी. कानून व्यवस्था (2012 -15),
ए.डी.जी.पी. सुरक्षा (2012-15), ए.डी.जी.पी. ट्रैफिक़ (2013-14), डी.आई.जी.
रेंज (2002 में एक साल से अधिक और 2003 -04), एस.एस.पी. (जनवरी 1992 से
जनवरी 1999 तक सात साल) सेवा निभाई।
दिनकर गुप्ता को बहादुरी के
लिए 1992 में पुलिस मैडल से सम्मानित किया गया। उनको अपनी ड्यूटी के दौरान
विलक्षण साहस, बहादुरी और समर्पण दिखाने के लिए 1994 में बार टू पुलिस मैडल
के साथ सम्मानित किया गया। उनको राष्ट्रपति द्वारा शानदार सेवाओं के लिए
पुलिस मैडल प्राप्त हुए हैं। उनको 2010 में शानदार सेवाओं के लिए
राष्ट्रपति पुलिस मैडल मिला।
दिनकर गुप्ता जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी,
वाशिंगटन डी.सी.(यू.एस.ए.) में 2000-01 के दौरान विज़टिंग प्रोफेसर रहे
जहां उन्होंने जनवरी-मई, 2001 में ‘गोरमेंट्स अंडर सीज: अंडरस्टैंडिंग
टैरोरिजम एंड टैरोरिस्टस’ के पाठ्यक्रम को तैयार किया और पढ़ाया।
वर्ष
1999 में गुप्ता को बिर्टिश काऊंसल द्वारा बिर्टिश चेवेनिंग गुरूकुल
स्कॉलरशिप प्रदान किया गया, जिसके अधीन उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक,
लंदन में 10 हफ्ते के गुरूकुल प्रोग्राम में हिस्सा लिया। उन्होंने
स्कॉटलैंड यार्ड, लंदन और न्यूयॉर्क पुलिस डिर्पाटमैंट समेत बहुत सी
अंतरराष्ट्रीय पुलिस फोर्स को शिक्षित किया। उन्होंने यूनिवर्सिटियों और
अमरीका के प्रमुख बुद्धिजीवियों में अपने भाषण दिए। उन्होंने 1996 में
इंटरपोल द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी एक सिम्पोजि़अम में
भारतीय नुमायंदगी की।
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