चंडीगढ । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर माँग की है कि पंजाब में उच्च मृत्युदर के मद्देनजऱ, जिसका कारण ज़्यादातर आबादी की बढ़ती उम्र और दूसरी बीमारियों की ज़्यादा संख्या है, पंजाब को कोविड-19 की दवा प्राथमिकता के आधार पर बाँटी जाये। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड मामलों की कम संख्या के बावजूद पंजाब में मृत्युदर ज़्यादा है जिस कारण राज्य को प्राथमिकता के आधार पर दवा अलॉट किये जाने की ज़रूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन दवाओं पर मौजूदा समय में विचार किया जा रहा है वह शायद इस रोग के संक्रमण को घटाने में इतने सहायक न हो सकें जितना कि गंभीर बीमारियों की रोकथाम में हो सकती हैं। इसलिए इन दवाओं का सर्वोत्तम इस्तेमाल बुज़ुर्गों और उन व्यक्तियों की गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाना चाहिए जिनके उच्च रोग से पीडि़त होने की संभावना ज़्यादा है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस सम्बन्धी भी स्थिति स्पष्ट करने की माँग की कि क्या कोविड 19 की दवा का सारा खर्चा दवाओं और इनकी स्पलाई समेत भारत सरकार की तरफ से किया जायेगा। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मापदण्डों सम्बन्धी भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए जिन पर आधारित ऐसे प्राथमिकता समूहों की पहचान की जायेगी जिनको पड़ाववार यह दवा मुहैया की जायेगी। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे प्राथमिकता समूहों की सूची तैयार करने की जि़म्मेदारी राज्य सरकार पर छोड़ी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी माँगी की कि दवा प्रदान किये जाने के मकसद हेतु फ्रंटलाईन वर्करों की परिभाषा में विस्तार करते हुए इसमें प्रशासनिक और अन्य अमले को शामिल किया जाये जोकि अनिवार्य जिम्मेदारियां निभाते हैं। हालांकि हैल्थकेयर वर्कर की परिभाषा बिल्कुल स्पष्ट है और पंजाब ने इस सम्बन्धी आंकड़े भी तैयार कर लिए हैं परन्तु फ्रंटलाईन वर्करों को सही ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है और अभी तक इसमें सुरक्षा बल (पुलिस, सशस्त्र बलों), म्यूंसीपल वर्कर और प्राथमिक स्कूल अध्यापक भी शामिल किये गए हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि निजी क्षेत्र के हैल्थ केयर वर्करों को इसमें गिना जायेगा और केंद्र सरकार की तरफ से सरकारी क्षेत्र के हैल्थ केयर वर्करों के अलावा इन निजी क्षेत्र के वर्करों को भी दवाएँ मुहैया करवाई जाने की मंशा है। सवाल यह पैदा होता है कि कि क्या ये दवाएँ अन्य प्राथमिक समूहों और आम लोगों को भी मुहैया करवाई जाएंगी यदि वह सरकार से इनको प्राप्त करने की इच्छा ज़ाहिर करते हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि कुछ रिपोर्टों से यह सामने आया है कि जिन व्यक्तियों को पहले कोविड-19 का संक्रमण हो चुका है उनको शायद यह दवा न हासिल हो। इस सम्बन्धी मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी सिफारशें किस आधार पर की गई हैं यह भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह इनके ठीक विपरीत है। जबकि नीतिगत तौर पर ऐसे व्यक्तियों को अलग तौर पर श्रेणीबद्ध किया गया लगता है जो पहले ही संक्रमित हो चुके हों, कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ऐसी नीति को विकसित करके लागू करने से पहले इसकी पुष्टि के लिए विश्व स्तर पर वैज्ञानिक तौर पर एक राय बना ली जाये फिर चाहे इसका निष्कर्ष दूसरे के लिए ज़्यादा ख़ुराकों के रूप में ही क्यों न निकले।
इस पक्ष पर गौर करते हुए कि अपने पेशे और भूमिका द्वारा परिभाषित व्यक्तियों के अलावा महामारी की रोकथाम करने के नज़रिए से यह भी ज़रूरी होगा कि यह दवा हॉट-स्पॉट या संभावी हॉट-स्पॉट के तौर पर जाने जाते घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में भी मुहैया करवाई जाये, मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि यह दवा प्रदान करने की योजना को लागू करने में थोड़ी लचकता इस्तेमाल की जाये तो राज्य की स्थिति बेहतर होगी। उन्होंने आगे कहा कि संभावी महामारियों को रोकने के लिए राज्य को दवाएँ मुहैया किये जाने के पक्ष से इस पक्ष की बहुत अहमीयत है जैसे कि इनफ्लूएंजा और इबोला बीमारियों के फैलने के समय किया गया था।
राज्य सरकार को कोविड-19 महामारी के समय मदद देने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद करते हुए और देश के सभी नागरिकों को कोविड-19 की दवा मुहैया किये जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुबारकबाद देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से दिशा-निर्देशों के अनुसार पंजाब ने एक प्रभावी टीकाकरण/दवा मुहैया करने सम्बन्धी अपनी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।
कोविड-19 की दवा मुहैया किये जाने सम्बन्धी कार्य योजना का खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी और प्राईवेट दोनों क्षेत्रों के हैल्थ केयर वर्करों के आंकड़े इकठ्ठा करके डिजिटल रूप में साझे कर लिए गए हैं, दवा दिए जाने की मुहिम की निगरानी करने के लिए राज्य और जि़ला/ब्लॉक स्तर पर समितियाँ गठित कर दी गई हैं जिन्होंने काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा दवाओं को स्टोर करने और इनके परिवहन सम्बन्धी कोल्ड चेन की उपलब्धता का ऑडिट कर लिया गया है और उपकरणों की कमी सम्बन्धी जानकारी केंद्र सरकार के साथ साझा कर ली गई है।
कोविड-19 की रोकथाम और टीकाकरण ख़ास तौर पर यह दवा हासिल करने, इसको मुहैया और स्टोर करने सम्बन्धी कुछ मसलों बारे मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग तापमान पर अपेक्षित कोल्ड चेन सामथ्र्य को मुकम्मल तौर पर तब तक परिभाषित नहीं किया जा सकता जब तक दवा की पहचान नहीं हो जाती और केंद्रीय खरीद के द्वारा ख़ुराक की उपलब्धता की सूचना नहीं मिल जाती। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा इसका पूरा रिकॉर्ड रखा जायेगा कि मैडीकल और कृषि क्षेत्रों में कितनी सामथ्र्य वाली दवा उपलब्ध है और यह तब ही संभव है जब आपके पास संभावी तौर पर अधिक सामथ्र्य हो।
दवा देने सम्बन्धी निजी क्षेत्र की सेवाएं लिए जाने संबंधी कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस समय बालिगों के टीकाकरण सम्बन्धी ऐसे कोई भी प्रोग्राम नहीं हैं, इसलिए इस प्रयास को लागू किए जाने के रास्ते में चुनौतियां हैं। इस पक्ष को ध्यान में रखते हुए कि शहरों में और ज्य़ादा मात्रा में हैल्थकेयर सेवाएं निजी डॉक्टरों द्वारा मुहैया करवाई जातीं हैं, कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह जानना बेहद सहायक होगा कि कैसे निजी क्षेत्र की सेवाएं लेकर सरकारी क्षेत्र के बोझ को घटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि यदि यह फ़ैसला भी किया जाता है कि सार्वजनिक तौर पर खरीदी गई दवाएँ पहुँचाने के लिए निजी क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा तो भी इस सम्बन्धी स्थिति स्पष्ट करने की ज़रूरत है कि दवाओं के पक्ष से निजी क्षेत्र से कितनी उपलब्धता होगी। उन्होंने सवाल किया कि मिसाल के तौर पर क्या निजी क्षेत्र उनकी दवाओं को हासिल और मुहैया करवा सकेगा जो कि सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध दवाओं की अपेक्षा अलग होंगी। उन्होंने आगे कहा कि इसके साथ एक दो तरह की प्रणाली का सृजन हो जाएगा जिस सम्बन्धी बहुत ही सावधानी इस्तेमाल किए जाने की ज़रूरत पड़ेगी।
अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि टेस्टिंग के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय योजना प्रणाली विकसित करना मददगार होगा और यह प्रणाली संक्रमित रोगों के माहिरों और महामारी वैज्ञानिकों की सलाह पर आधारित होगी।
इस पहलू की तरफ ध्यान देते हुए कि इस महामारी सम्बन्धी दवाएँ और टीकाकरण प्रोग्रामों पर सबका ध्यान केन्द्रित है, मुख्यमंत्री ने इस बात की ज़रूरत पर ज़ोर दिया कि एक बेहतर तालमेल वाली उपचार योजना और आपदा प्रबंधन योजना, जिसमें राज्य, केंद्र के साथ संपर्क में रहते हुए अपने मुताबिक ढाल सकें, का होना बहुत ज़रूरी है, जिससे इसको लोगों के कल्याण सम्बन्धी बेहतर बनाया जा सके।
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