चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह जोधपुर के नजऱबन्दियों को दिए जाने वाले 4.5 करोड़ रुपए के मुआवज़े में से राज्य के हिस्से के चैक गुरूवार को नजऱबन्दियों को प्रदान करेंगे । इससे उनको काफी समय से अपेक्षित राहत प्राप्त हो जायेगी । ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आज यहाँ एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री कल दोपहर 12 बजे पंजाब भवन में अपने मंत्रीमंडल के साथियों की उपस्थिति में जोधपुर के नजऱबन्दियों को चैक देंगे जिसके बाद दोपहर का खाना होगा ।
अमृतसर जि़ला अदालत द्वारा मुआवज़ा दिए जाने के दिए गए फ़ैसले के बाद पंजाब सरकार ने नजऱबन्दियों को अपने हिस्से की राशि बाँटने का फ़ैसला किया है । राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को इस संबंधी सूचना दिए जाने के बाद मुआवज़े की इस राशि दिए जाने का फ़ैसला लिया है ।
गौरतलब है कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हाल ही में इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी पत्र लिखा था और उन्होंने राजनाथ सिंह की अनुपस्थिति में केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा से भी टैलिफ़ोन पर बात की थी । उन्होंने नजऱबन्दियों को काफी समय से अपेक्षित राहत मुहैया कराने सबंधी मामले का जल्दी हल किये जाने की माँग की थी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि अगर केंद्र सरकार अपना हिस्सा देने में असफल रही तो राजय सरकार सारी देनदारी अपने सिर लेगी ।
मुख्यमंत्री इन नजऱबन्दियों को भी मिले । इनको जून 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के बाद गिरफ्तार करके जोधपुर में नजऱबंद कर दिया गया था । मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार इस मामले में उनकी हर मदद करेगी ।
इन नजऱबन्दियों को पिछले कई वर्षों से मुसीबतों का सामना करना पड़ा जबकि उनका कोई भी कसूर नहीं था। केंद्र सरकार द्वारा अमृतसर अदालत के फ़ैसले के संबंध में अपील करने के फ़ैसले के विरुद्ध सिख भाईचारे में तीखी प्रतिक्रिया पैदा हुई थी । मुख्यमंत्री ने कहा था कि इससे सिख भाईचारा अलग-थलग महसूस करेगा और उनको लगेगा कि उनके साथ अन्याय किया गया है ।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के संबंध में जोधपुर जेल में तकरीबन 300 व्यक्तियों को गिरफ्तार करके नजऱबंद कर दिया गया था और बाद में उनको मार्च 1989 और जुलाई 1991 के बीच तीन बैंचों में रिहा कर दिया था । इनमें से 224 नजऱबन्दियों ने ‘गलत तरीकों से नजऱबंद करने और कष्ट देने’ के दोष के तहत मुआवज़े के लिए निचली अदालत में अपील की थी परन्तु वह 2011 में अदालत से कोई भी राहत लेने में असफल रहे थे ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इनमें से 40 नजऱबन्दियों ने जि़ला और सैशन अदालत अमृतसर में अपील की थी जिनमें से प्रत्येक को पिछले वर्ष अप्रैल में चार-चार लाख रुपए का मुआवज़ा दिए जाने का फ़ैसला सुनाया गया था और इसके साथ ही छह प्रतिशत ब्याज (मुआवज़े के भुगतान की अपील दायर करने की तारीख़ से) देने के लिए कहा था । ब्याज समेत कुल मुआवज़े की राशि अंदाजऩ 4.5 करोड़ रुपए बनती है ।
अदालत ने यह फ़ैसला दिया था कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर मुआवज़े का भुगतान करें। चाहे पंजाब सरकार ने आधी राशि देने के लिए अदालत में भरोसा दे दिया था परन्तु केंद्र सरकार ने इस संबंध में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपील कर दी थी ।
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