चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अपील पर केंद्र सरकार ने युद्ध या अन्य किसी ऑपरेशन के दौरान मृत/लापता/स्थायी तौर पर अपाहिज होने वाले सशस्त्रबलों के अधिकारी रैंक से निचले अ धिकारियों-कर्मचारियों के बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा रियायत की सीमा निर्धारित न करने को सहमति दे दी है।रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में केंद्र सरकार की इस योजना के अंतर्गत प्रति माह 10 हजार रुपए की सीमा निर्धारित नहीं करने के फैसले को जारी रखने संबंधी जानकारी दी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे सशस्त्र बलों और उनके परिवारों खास तौर पर शहीद और अपाहिज सैनिकों के बच्चों का मनोबल बढ़ेगा, जिनका सुरक्षा और संप्रभुता के लिए देश ऋणी है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा 1 दिसंबर, 2017 को लिखे पत्र के जवाब में रक्षा मंत्री का यह पत्र आया है। इस पत्र में मुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री को ऐसे बच्चों को शिक्षा रियायत योजना के अंतर्गत ट्यूशन फीस और होस्टल फीस की 10 हजार रुपए पर सीमा निर्धारित करने संबंधी फैसले को रद्द करने की अपील की थी। इस पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री को कहा था कि यह प्रस्तावित कदम सन 1971 में लोकसभा में घोषित की गई इस योजना के उद्देश्य से मजाक होगा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह के मुताबिक इस कदम से रक्षा कर्मचारियों के बलिदानों को धक्का लगेगा और इससे सशस्त्र जवानों के देश और इसके नागरिकों के प्रति योगदान की तौहीन होगी। उनका विचार है कि शहीद और अपाहिज हुए जवानों के बच्चों को दी जाने वाली यह फीस वास्तव में उनका देश के लिए बलिदान का बहुत ही कम मूल्य है।
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