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संकट के समय केंद्र ने हमारा साथ छोड़ा -कैप्टन अमरिन्दर सिंह

Center left us in times of crisis - Punjab-Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़ । लॉकडाउन के लम्बा समय चलने और कोविड के विरुद्ध लड़ाई लडऩे में भारत सरकार द्वारा छोटे राज्यों का साथ न देने पर अफसोस जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह केंद्र सरकार की ड्यूटी बनती है कि इस राष्ट्रीय जंग में अर्थव्यवस्था की मंदहाली से जूझ रहे राज्यों की मदद के लिए आगे आए।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि पंजाब कोविड की स्थिति से सफलतापूर्वक निपट रहा है और मैडीकल के पक्ष से समस्या को काफी हद तक काबू कर लिया है परन्तु आर्थिक पुनर्जीवन के लिए केंद्र सरकार से मदद की जरूरत होगी।
भारत सरकार के मौजूदा रवैय को निराशाजनक बताते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इस समय पंजाब में आर्थिक गतिविधियों की फिर से शुरुआत करने के लिए सभी कदम राज्य सरकार ने अपने यत्नों के साथ उठाए हैं। सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) की कर्ज हद बढ़ाने के लिए शर्तें थोपने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के अधिकारों को घटाते हुए केंद्र सरकार द्वारा बहुत कम और देरी से की गई वित्तीय मदद का लाभ भी कम हो गया।
कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य द्वारा उठाए जा रहे कदमों बारे मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में समाप्त हुए रबी सीजन के दौरान गेहूँ की हुई भरपूर फसल के चलते करीब 24000 कोरड़ रुपए ग्रामीण आर्थिकता के लिए मुहैया करवाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि राज्य के कुल 2.56 लाख औद्योगिक ईकाईयों में से 20 हजार को छोडक़र सभी चालू हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि फिर भी राज्य की अर्थव्यवस्था को अपने सर्वोच्च स्तर तक पहुँचने के लिए कुछ समय तो लगेगा। उन्होंने छोटे और मध्यम उद्योगों को इस संकट भरे समय में से उभारने के लिए केंद्र से अपील की।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उद्योगपति राहुल बजाज के दरमियान हाल ही में इस मसले पर हुई बातचीत पर टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दोनों सही हैं क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद और लोगों की कीमती जानें दोनों महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि जान बचाने के लिए लॉकडाउन जरूरी था लेकिन राज्य की आर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना भी जरूरी है जिसके लिए मौनटेक सिंह आहलूवालीया के नेतृत्व में माहिरों का पैनल रूपरेखा तैयार कर रहा है।
स्वेच्छा से पंजाब में रहने वाले प्रवासी कामगारों संबंधी बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 11.50 लाख लोगों, जिन्होंने अपने घरों को वापस जाने के लिए आवेदन किया था, में से 5 लाख से अधिक ने उद्योगों के खुलने से पंजाब में ही रहने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कई प्रवासी कामगार अब बिहार और यूपी जैसे राज्यों से काम दोबारा शुरू करने के लिए पंजाब वापस आना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह मजदूर जो अपने घरों को वापस चले गए थे, पंजाब सरकार द्वारा पुलिस, एन.जी.ओज़, धार्मिक संस्थाओं आदि के समर्थन द्वारा की गई देखभाल की बात कर रहे हैं। कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि राज्य सरकार कम स्रोतों के बावजूद इसके निपटारे के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रही है।
धान की बिजाई के सीजन के दौरान मजदूरों की कमी सम्बन्धी एक सवाल के जवाब में कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि इस सीजन में धान की लगभग 30 प्रतिशत सीधी बिजाई की गई है जिसके लिए मजदूरों की कम जरूरत है और इसकी लागत भी कम है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उद्योग मजदूरों को साथ रखने के लिए वेतन बढ़ाने जैसे कई प्रयास भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालाँकि, यह छोटे उद्योग हैं जो ज्यादातर प्रवासी मजदूरों को काम पर रखने और इनको पुनर्जीवन के लिए तुरंत सहायता की जरूरत है।
उद्योगों, कारोबारों और अन्य गतिविधियों के फिर से शुरू होने के मद्देनजर कोविड के खतरे के फैलने से निपटने के लिए राज्य की तैयारी संबंधी कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि बुखार की जांच समेत प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए सभी उपाय किये जा रहे हैं। अत्यंत सावधानी की जरूरत पर ज़ोर देते हुए उन्होंने लोगों से अपील की कि वह जिम्मेदारी के साथ काम करें और सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें और जब भी वह बाहर निकलें तो बुखार की जांच करवाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न शहरों में अक्सर कम्युनिटी फैलाव की खबरें आने के बावजूद राज्य सरकार कोविड के खिलाफ अपनी लड़ाई सफलतापूर्वक जारी रखे हुए है। उन्होंने कहा कि यह समस्या प्रभावित व्यक्तियों के संपर्क में आने या उनके मामूली जैसे लक्षण दिखने पर लोगों की डॉक्टरी जांच करवाने में असफल रहने के कारण और बढ़ जाती है।
जिम, स्कूल आदि खोलने पर उन्होंने बताया कि यह फैसले राष्ट्रीय आपदा ऐक्ट के अंतर्गत केंद्र के अधीन हैं।
घरेलू प्रयोग के लिए बिजली दरों में कटौती के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे निचली श्रेणी के 52,000 घरेलू खपतकारों और दूसरे वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ दिया गया है। राज्य सरकार का फर्ज बनता है कि वह आर्थिक तंगी के बावजूद सब्सिडी अदायगी के जरिये पावरकॉम का समर्थन करे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान डिसकॉम को प्रति दिन 30 करोड़ रुपए का घाटा बर्दाश्त करना पड़ा।
एक सवाल के जवाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार जल्द ही सहकारी चीनी मिलों के बकाए अदा करेगी और निजी मिल मालिकों पर भी दबाव डाल रही है कि वह किसानों का बकाया अदा करे।

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