चंडीगढ़। पंजाब की राजनीति में नशे के कारोबार में बदनाम हुए पूर्व
मंत्री विक्रम मजीठिया के खिलाफ सीबीआई को कोई सबूत नहीं मिला। प्रदेश की
अकाली सरकार के दौरान तीन वर्षों तक छाए रहे 6000 करोड़ रुपए के ड्रग्स
रैकेट मामले में ईडी ने अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट सी.बी.आई. कोर्ट में
दाखिल कर दी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस चार्जशीट में अकाली दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट
मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर, उनके बेटे दमनबीर फिल्लौर और पूर्व मुख्य संसदीय
सचिव (सीपीएस) अविनाश चंद्र समेत 12 लोगों के नाम शामिल हैं। लेकिन, ड्रग
को लेकर विपक्ष के लगातार निशाने पर रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह
मजीठिया का नाम नहीं है। चार्जशीट में जगजीत चाहल व उनकी कई कंपनियों के
नाम भी शामिल हैं।
ई.डी. के डिप्टी डायरैक्टर निरंजन सिंह
की ओर से दाखिल की गई आठ हजार से ज्यादा पेजों की चार्जशीट में बताया गया
है कि इस मामले में 62 करोड़ रुपए (कलैक्टर रेट) की प्रॉपर्टी अब तक जब्त
की गई है। मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।
जानकारी
के अनुसार 6000 करोड़ के ड्रग्स रैकेट की जांच अंतिम चरण में पहुंच गई है।
अभी तक की जांच में मजीठिया का नाम नहीं आना जहां अकाली दल के लिए राहत
देने वाली बात है वहीं, कांग्रेस के लिए हैरानी वाली। कांग्रेस हमेशा ही इस
मामले में मजीठिया पर सीधे निशाना साधती रही है। उल्लेखनीय है कि
वर्ष 2012 में डीएसपी जगदीश भोला की गिरफ्तारी के बाद यह मामला सुर्खियों
में आया था। 2013 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले की जांच शुरू की
थी। इस मामले में एन.डी.पी.एस एक्ट के तहत 78 एफआईआर दर्ज हुई थी
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