चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जी.एस.टी. की दरों को सरल बनाने के लिए इस प्रणाली की समीक्षा करने की माँग की है। इससे उन्होंने जी.सी.एस. प्रणाली को और दुरुस्त बनाने की भी माँग की जिससे देश के कारोबारियों, व्यापारियों और उद्योगपतियों को पेश समस्याएँ यदि पूरी तरह ख़त्म नहीं होती तो कम से -कम घटाईं तो जा सकें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एक अर्द्ध सरकारी पत्र में मुख्यमंत्री ने मोदी से अपील की कि सहकारी संघवाद की भावना के मुताबिक जी.एस.टी. की कुछ अड़चनों का तत्काल हल किया जाये।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बताया कि जी.एस.टी. एक सुधारवादी प्रणाली थी जिसका समूचे देश और सभी राजनैतिक पार्टियां अपने राजनैतिक भिन्नताओं से उपर उठकर इसके पक्ष में खड़ी थीं। इस नई टैक्स प्रणाली के प्रति कुछ शंकाओं के बावजूद राज्यों ने हमारी सदियों पुरानी टैक्स प्रणाली के सुधार और सरलीकरण के लिए नई प्रणाली का समर्थन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.एस.टी. से सम्बन्धित प्रक्रिया को आसान बनाने, कीमतों में संतुलन बिठाने और टैक्स राजस्व को बढ़ाने समेत मुख्य सुधारों की उम्मीद है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पिछले एक साल का तजुर्बा और भी कड़वाहट भरा है। उन्होंने जी.एस.टी. की पुख़्ता प्रणाली के प्रति काम करने पर ज़ोर दिया जिससे सच्ची भावना से इस व्यापक सुधार के जश्न मनाए जा सकें।
बीते एक साल में जी.एस.टी. के कानून की बनावट में त्रुटियों का तजुर्बा सामने आने का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मानक प्रबंधों से अनगिनत व्यवहार होने से टैक्सों में बिगाड़ शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. कौंसिल की तरफ से कायम की समितियों की विभिन्न रिपोर्टों में कई महत्वपूर्ण तबदीलियाँ करने की सिफ़ारिश की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी समझ के मुताबिक केंद्रीय और राज्य सरकार के अधिकारियों पर आधारित कानून समीक्षा समिति ने लगभग 200 तबदीलियाँ करने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. की भावना के मुताबिक मुख्य उपबंधों में अहम तबदीलियाँ करने की ज़रूरत है।
इसी तरह मुख्यमंत्री ने कहा कि बहु-भांति टैक्स का भारत में आय की विभिन्नता होने के आधार पर चाहे कुछ क्षेत्रों में यह न्यांसंगत हो परन्तु इसने बड़े स्तर पर अलोचना को न्योता दिया है। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री ने ख़ुद कहा कि दूध और मर्सिडीज पर एक सा ही टैक्स नहीं लगाया जा सकता। कई वैश्विक माहिरों की भी राय है कि एक दर अधिक लाभप्रद है और गरीबों को खातों के द्वारा सीधा लाभ दिया जा सकता है जिससे अमीर इन रियायतों का लाभ न उठा सकें।
मुख्यमंत्री ने रोज़ इस्तेमाल करीं जाने वाली कई वस्तुओं पर लगते बहु -भांति टैक्सों की एक -दूसरे से काफ़ी विभिन्नता है। जैसे दूध, क्रीम, मक्खन, दहीं या लस्सी और ब्रैड्ड पर कोई जी.एस.टी. नहीं जबकि मीठा और यू.एच.टी. दूध, दहीं बनाने के बाद बाकी बचे दूध, छैना या पनीर, काजू, अखरोट, किशमिश और सिंघाडा, आम पापड़ और पीज़ा बरैड्ड पर पाँच प्रतिशत जी.एस.टी. लगाया गया। इसी तरह सप्रेटा दूध, पनीर, बादाम, पिस्ता, ब्राजील गिरी, खंजूरों और अंजिर पर 12 प्रतिशत जबकि खाने के लिए तैयार डिब्बाबंद भोजन, मिल्क बादाम और गारलिक ब्रैड्ड पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक मज़बूत तर्क है कि सभी टैक्स दरों को सरल बनाने की फिर -समीक्षा की जाये जिससे कि टैक्स चोरी और अन्य चोर-छेदों पर भी रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक सा सिद्धांत तो यह होना चाहिए कि वे सभी वस्तुएँ जो कि ओवरलैपिंग प्रकृति, नज़दीकी विकल्प वाली या जिन वस्तुओं को वर्गीकृत नहीं किया जा सकता, उन पर वैकल्पिक दरों के हिसाब से टैक्स नहीं होना चाहिए।
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि जीएसटी राजस्व ने उस प्रकार के नतीजे नहीं लाए, जिस तरह की उम्मीद जताई जा रही थी। कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि सरकारों की गिर रही वित्तीय स्थिति पर जीएसटी के प्रभाव के नतीजे चिंताजनक हैं और इसके साथ-साथ यह भी चिंताजनक बात है कि इससे सरकारी खर्चों को काबू कर लिया गया है जो कि सामाजिक न्याय और विकास के लिए ठीक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जून 2018 का राजस्व यानि कि जीएसटी शुरू होने से तकरीबन एक साल बाद करीब -करीब वही है जो पहले महीनो में था (95160 करोड़ रुपए बनाम 93590 करोड़ रुपए)। उन्होंने कहा कि जीडीपी की निश्चित दर (मौजूदा कीमत ’पर) में भी पिछले साल के मुकाबले इस साल कमी आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राजस्व कुल है जिसमें से रिफंड घटाया नहीं गया और जब रिफंड घटा दिए जाएंगे तो मालीया स्थिति और भी गंभीर सामने आयेगी।
उन्होंने कहा कि समूचे रूप में लघु उद्योग क्षेत्र की तरफ से अदा किये टैक्सों की जाँच पड़ताल करनी बनती है और उनकी जानकारी के मुताबिक इस क्षेत्र का योगदान बहुत कम है। उन्होंने कहा कि तरकीबन 80 प्रतिशत जीएसटी दाता इसको सरल करने के हक में हैं जबकि वास्तव में 20 प्रतिशत से भी कम को इसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह बात सिद्ध करती है कि या तो व्यापारी संकोच कर रहे हैं या वह जीएसटी कानून से डर रहे हैं।
इन चिंताओं के अलावा कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री को यह भी बताया कि जीएसटी की पूरी सामथ्र्य तब ही सामने आ सकेगी जब इसमें ऊर्जा क्षेत्र, जिसमें पैट्रोलियम और बिजली शामिल हैं, को जीएसटी के अधीन लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि ऊर्जा बहुत सी उद्योगों की धुरी है जहाँ लागत का 20 -30 प्रतिशत हिस्सा इस पर ख़र्च होता है। उन्होंने कहा कि आज बड़े उद्योग जहाँ कोयला आधारित ऊर्जा इस्तेमाल करी जाती है, में जीएसटी के लाभ लिए जा रहे हैं जबकि यही लाभ प्राकृतिक ऊर्जा और प्राकृतिक गैस से चलने वाले उद्योगों को नहीं मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि यह दोनों तरह के उद्योग को बिना किसी समझौते के जीएसटी में शामिल करना मुमकिन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी की कुछ ख़ामियों को दूर करने, रियायतों और छूट देने का ऐलान अलग -अलग तारीख़ों को किया गया जिससे कि उनका पूर्व प्रभाव नहीं रहा। जबकि टैक्स दरों /छूटों के मामलो में यह भविष्यमुखी हो सकते हैं, जिनको कि प्राथमिक तारीख से लागू किया जाना बनता है।
अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि आई.टी. क्षेत्र में भी बहुत से मुद्दे हैं और वह महसूस करते हैं कि इनसे जल्द निपटा जाये और सब तरह की ख़ामियाँ दूर की जाएँ। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जीएसटी प्रणाली अति सरल हो जोकि दुनिया के लिए एक उदाहरण पेश करे न कि यह एक जटिल सी प्रक्रिया बन कर रह जाये।
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