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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी को पत्र लिख कर 80845 करोड़ की वित्तीय और ग़ैर -वित्तीय सहायता मांगी

Capt Amarinder Singh wrote a letter to PM Modi asking for financial and non-financial assistance of 80845 crores - Punjab-Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़ । कोविड -19 महामारी के कारण राज्य में बड़े स्तर पर हो रहे नुकसान और परेशानी के आलम की तरफ इशारा करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को माँग पत्र भेज कर नये हालात के मद्देनजऱ लोगों की जि़न्दगियां बचाने और रोज़ी -रोटी सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार से ग़ैर-वित्तीय सहायता समेत 80845 रुपए की वित्तीय सहायता की माँग की है।
मुख्यमंत्री की तरफ से मांगी गई ग़ैर वित्तीय सहायता में लंबे समय के सी.सी.एल. कजऱ्े माफ करना, मनरेगा के लक्ष्यों में पूँजी खर्चों में विस्तार और केंद्र सरकार के अन्य प्रमुख प्रोग्राम जैसे स्मार्ट सीटी प्रोग्राम, अमरुत, नयी राष्ट्रीय शहरी रोजग़ार गारंटी योजना और कृषि और औद्योगिक मज़दूरों के बुनियादी अधिकारों और हितों की सुरक्षा यकीनी बनाने के लिए अंतरराज्यीय प्रवासी मज़दूर एक्ट में संशोधन और श्रम कानूनों में संशोधन करना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में किसी बड़ी सामाजिक -आर्थिक उथल -पुथल को रोकने और भावी पीढ़ीयों के सुरक्षित जीवन और रोज़ी -रोटी के ज़रिये को बचाने के लिए केंद्र के तत्काल दखल की ज़रूरत है।
अपने विस्तृत याद पत्र में इस महामारी के लंबे समय तक रहने की बात करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ध्यान प्रशासकीय, ढांचागत और कानूनी तबदीलियों की ज़रूरत की तरफ दिलाया जिससे नये हालात में लोगों की सुरक्षा यकीनी बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि ताज़ा हालात में इस संकट के कारण सरकारी प्रोग्रामों को नये सिरे से योजनाबंद्धी और तबदीलियां करना समय की ज़रूरत बन चुकी है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में मौजूदा हालात में नयी ज़रूरतों और सुधारों पर ज़ोर देते हुये पंजाब सरकार ने ताज़ा परिप्रेक्ष्य में तेज़ी से तबदीलियों के लिए ज़रूरतों का जल्दी से मूल्यांकन कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि चाहे यह मूल्यांकन मुकम्मल नहीं है परन्तु इससे बहु -पड़ावी और बड़े स्तर की वित्तीय और सामाजिक उथल -पुथल के यकीनी संकेत मिलते हैं जिसका राज्यों को सामना करना और जवाब देना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भारत सरकार की तरफ से कोविड -19 महामारी को रोकन के लिए समय -समय पर जारी हिदायतेें जारी की जिसकी पंजाब सरकार की तरफ से पूरी तरह पालना की जा रही है परन्तु इसके बावजूद हमारा यह मानना है कि राज्य अकेले इन नयी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते और इसलिए सहकारी संघीय ढांचे की असली भावना को लागू करने की ज़रूरत है और केंद्र सरकार इसलिए राज्यों की बड़े स्तर पर सहायता करे क्योंकि देश ने 1947 में मिली आज़ादी के बाद कभी भी ऐसे हालात का सामना नहीं किया।
महामारी के फैलाव के मद्देनजऱ जीवन की सुरक्षा को यकीनी बनाते हुये राज्य की आर्थिकता को पुनर सुरजीत करने के लिए ज़रुरी विस्तृत सहायता उपायों को सूचीबद्ध करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिकता को फिर पैरों पर खड़ा करने के लिए 26400 करोड़ रुपए के सीधे वित्तीय प्रोत्साहन और लम्बी मियाद के सी.सी.एल. कजऱ्े माफ करना बहुत ज़रूरी था। इसके इलावा उन्होंने माँग स्तर में आगे विनती की कि वित्तीय साल 2020 -21 के दौरान सभी केंद्रीय योजनाओं के लिए भारत सरकार द्वारा 100 प्रतिशत फंड दिए जाने चाहिएं।
सहायता की तुरंत ज़रूरत वाले क्षेत्रों को सूचीबद्ध करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय के परिप्रेक्ष्य से राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में 6603 करोड़ रुपए की लागत से सुधार का अनुमान लगाया गया था।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इसके इलावा राज्य को कृषि बुनियादी ढांचे की अपग्रेडेशन, एकमुश्त खेती कजऱ् माफी, आमदनी सहायता, ब्याज के लिए सरकारी सहायता आदि मुहैया करवाने के लिए 15975 करोड़ रुपए की ज़रूरत होगी और प्रस्तावित किया कि फ़सली कजऱ् माफी के लिए किसानों के मौजूदा कजऱ्े भारत सरकार द्वारा बैंकों को 10 -15 बराबर किश्तों में अदा किये जाने वाले लम्बी मियाद के कर्जे के तौर पर तबदील करते हुये भारत सरकार द्वारा अपने पर लिये जाने चाहिएं। भविष्य के लिए किसानों को उनकी अदायगी के सामथ्र्य को दिर्शाते हुए उत्पादन के साथ जुड़े कजऱ्े दिए जाने चाहिएं। इसके इलावा उन्होंने पशु पालन और डेयरी सैक्टरों के लिए 1161 करोड़ रुपए की माँग की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड -19 का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार के अनुमान के अनुसार गाँवों में तरल और ठोस अवशेष के प्रबंधन के लिए 5068 करोड़ रुपए की ज़रूरत पड़ेगी। इसके इलावा मनरेगा के अंतर्गत पूँजी लागत और लक्ष्यों में 767 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 2413 करोड़ रुपए करने के संशोधन की ज़रूरत होगी। इस सैक्टर के लिए 6714 करोड़ रुपए की कुल वित्तीय सहायता की ज़रूरत है।
आवास निर्माण और शहरी मामलों के लिए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शहरी क्षेत्रों में रोजग़ार की गारंटी के लिए एक राष्ट्रीय शहरी रोजग़ार गारंटी एक्ट (एन.यू.ई.जी.ए.) की प्रस्तावना की है जिसके लिए सालाना 3200 करोड़ रुपए की ज़रूरत होगी। उन्होंने अमरुत, स्मार्ट सीटी, पी.एम.ए.वाई. आदि स्कीमों के अधीन कुछ रियायतों के साथ 6670 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूँजी लागत के साथ साथ राजस्व घाटे के पक्ष से 1137 करोड़ के अनुदान की माँग भी की है।
कोविड के बाद की ऑनलाइन और अन्य शैक्षिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए राज्य ने 3080 करोड़ रुपए और ऑनलाइन ट्रेनिम के लिए 8 करोड़ रुपए की सहायता माँगी है। लॉकडाऊन के समय के लिए विद्यार्थियों के लिए 1000 रुपए प्रति महीना वज़ीफ़ा माँगा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ नीतिगत दख़ल के इलावा पंजाब में नयी और नवीनकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 575 करोड़ रुपए की ज़रूरत पड़ेगी।
इसके इलावा सरहदी क्षेत्र के विकास के लिए सरहदी क्षेत्र के कँटीली तार से पार ज़मीन ऐकुआइर करने या उन क्षेत्रों में लगातार दख़ल देने के लिए उचित मुआवज़े के साथ 2571 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता की माँग की गई है।
मैमोरंडम के अनुसार परिवहन सैक्टर को सामाजिक दूरी के नियमों और अन्य सावधानी उपायों को कायम रखते हुये सेवाएं प्रदान करने की आज्ञा देने के लिए कुल 326 करोड़ रुपए की ज़रूरत होगी जिसमें कुल वित्तीय ज़रूरत के तौर पर प्रवासी मज़दूरों के कल्याण के लिए 5040 करोड़ रुपए का अनुमान भी लगाया गया है। इसके इलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही इन श्रमिकों के हितों और मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा के लिए अंतरराज्यीय प्रवासी मज़दूर एक्ट को फिर बनाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने माँग पत्र में ज़ोर देते हुये कहा कि व्यापार, कारोबार और उद्योग खासकर लघु, छोटे और दर्मियाने उद्यमियों (ऐम.ऐस.ऐम.ईज़) को भारत सरकार की सहायता की ज़रूरत है जिसमें ब्याज माफी, व्यापक ई.एस.आई. /ई.पी.एफ. योगदान, उच्च ब्याज अधीनता और तेज़ी से जी.एस.टी. रिफंड शामिल हैं। इसी तरह ऊर्जा सैक्टर को भारत सरकार द्वारा कई नीतिगत दखलअन्दाजिय़ों की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि काम प्रक्रिया में सुधारों की ज़रूरत होगी जिससे औद्योगिक क्षेत्र और मज़दूरों के बुनियादी अधिकारों को नुकसान पहुँचाये बिना जल्दी रिकवरी की जा सके।
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