चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सरहदी इलाकों में नशे की तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ) के मुलाजिमों और नशा तस्करों के बीच कथित गठजोड़ को तोडऩे के लिए सरहद पर बी.एस.एफ के मुलाजिमों की तैनाती की मियाद घटाने का सुझाव दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री ने राज्य में नशे की स्मगलिंग को रोकने के लिए सरहद पर सभी नाकों पर वाई फाई सीसीटीवी कैमरे भी स्थापित करने के हुक्म जारी किये हैं । उन्होंने नशे के विरुद्ध लड़ाई में तालमेल के लिए पड़ोसी राज्यों और केंद्रीय एजेंसियोँ के साथ सूचना के आदान -प्रदान की भी ज़रूरत पर ज़ोर दिया ।
नशे के विरुद्ध सरकार की मुहिम का जायज़ा लेते हुए मुख्यमंत्री ने नशे के विरुद्ध तालमेल के साथ कार्यवाही का न्योता दिया और कहा कि एस.टी.एफ को पंजाब पुलिस के अधीन लाने का फ़ैसला इसी ज़रूरत के कारण लिया गया है । मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि विशेष टास्क फोर्स (एस.टी.एफ) अब पंजाब पुलिस के डी जी पी के नियंत्रण में सीधे तौर पर कार्य करेगी जिस तरह कि इंटेलिजेंस और विजीलैंस विभाग करते हैं । उन्होंने कहा कि एस.टी.एफ ने अब तक बढिय़ा काम किया है परन्तु एक हथियारबंद फोर्स की तरह इस एजेंसी को अब डी जी पी के नेतृत्व में लाने बारे सोचा है जिससे और बढिय़ा संसक्त से कार्य किया जा सके ।
सभी प्रांतीय और केंद्रीय एजेंसियों में और तालमेल की पहुँच अपनाए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय सबसे बड़ी समस्या बने नशे के इलावा अन्य अपराधों से निपटने के लिए भी ज़्यादा तालमेल की ज़रूरत है जिनमें औरतों की तस्करी, आतंकवाद, हथियारों की तस्करी और मासूम लोगों से ठगी करने वाले अनाधिकृत ट्रैवल एजेंट शामिल हैं ।
मुख्यमंत्री ने सिख फॉर जस्टिस (एस एफ जे) जैसे तत्वों की कोशिशों के विरुद्ध विभिन्न एजेंसियों की तरफ से ठोस कार्यवाही का न्योता दिया जोकि 2020 की जनमत-संग्रह की मुहिम से राज्य को बाँटने की कोशिश में हैं । उन्होंने कहा कि हमें इनकी कोशिशों का मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए ।
राज्य के सभी डिप्टी कमिशनरों और एस.एस.पीज़/सी.पीज़ की एक उच्च स्तरीय मीटिंग को संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री ने नशे की समस्या को रोकने के सम्बन्ध में अवार्ड और सजा संबंधी एक प्रणाली तैयार करने के लिए भी पुलिस विभाग को कहा । उन्होंने सूचना देने वालों को लाभ के तौर पर सरकारी नौकरी पर विचार करने का भी सुझाव दिया ।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने नशे के विरुद्ध लड़ाई को और मज़बूत करने के लिए हैडक्वाटर स्तर पर एस.एस.पीज़ और डी.एस.पीज़ के अधीन पुलिस को छापामारू टीमें बनाने के लिए कहा । उन्होंने सैंपलों के उचित और तेज़ी से टैस्ट किये जाने को यकीनी बनाने के लिए फोरेंसिक लैबों को भी मज़बूत बनाने का न्योता दिया ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने-अपने इलाकों को नशे से मुक्त बनाने के लिए एस.डी.एम, डी.एस.पी और एस.एच.ओ जि़म्मेवार और जवाबदेह होंगे । उन्होंने नशामुक्ति प्रोग्रामों को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए भी जि़म्मेवारी तय की । उन्होंने कहा कि मैडीकल, पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों की नशों संबंधी प्राप्तियों को उनकी विभागीय ए.सी.आर में नोट किया जाये जिससे दूसरे अधिकारियों को भी नशे के विरुद्ध संघर्ष के लिए बढिय़ा कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सके । उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि नशा माफिया को किसी भी तरह की सुविधा दिए जाने को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जायेगा और इस सम्बन्ध में दोषी पाए गए किसी भी अधिकारी /कर्मचारी को कड़ी सज़ा का सामना करना पड़ेगा ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय अधिकारी उन घरों में जाएं जहां नशे के प्रयोग के मामले सामने आए हैं और इस सम्बन्ध में ज़रूरी कार्यवाही करने के लिए व्यापक रिपोर्ट पेश करें । उन्होंने नियमित और उचित निगरानी को यकीनी बनाने के लिए नशे से प्रभावित गाँवों के जीयो-टैगिंग संबंधी पुलिस के प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया । मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि नशामुक्त गाँवों को विकास कामों के लिए अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामने आए मामलों के तेज़ी से निपटारे के लिए वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट को फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित करने की विनती करेंगे । उन्होंने कहा कि इससे दोषियों को सजा यकीनी बनाई जा सकेगी और अन्यों को मिसाली संदेश दिया जा सकेगा । उन्होंने एन.डी.पी.एस मामलों की समय पर और विधिवत् जांच को मुकम्मल बनाऐ जाने को यकीनी बनाने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए । उन्होंने अदालतों में इन मामलों की उचित पैरवी करने के हुक्म जारी किये ।
इस मौके पर डी.जी.पी सुरेश अरोड़ा ने कहा कि डिप्टी कमिश्नर, एस.एस.पीज़ और पंजाब के लोगों ने सफलता से आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई लड़ी है और अब एक बार फिर इकठ्ठा होकर नशे के विरुद्ध लड़ाई लडऩे का समय आ गया है । उन्होंने कांग्रेस सरकार की तरफ से इस मामले में कभी भी दख़ल अन्दाजी न करने या नशे से सम्बन्धित किसी भी मामले पर पुलिस के दबाव न डालने की प्रशंसा की ।
मीटिंग में स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिंद्रा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह एन.एस. कलसी, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य सतीश चंद्र और नोडल अफ़सर डी.ए.पी.ओ. राहुल तिवाड़ी उपस्थित थे ।
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