चंडीगढ़। जलियांवाला बाग़ हत्याकांड ने भारत की आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी और इसके बाद भारत की आज़ादी की लड़ाई के नेताओं ने फ़ैसला किया कि वह ब्रिटिश साम्राज्य की और ज्य़ादतियां बर्दाश्त नहीं करेंगे। मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन जलियांवाला बाग़ हत्याकांड सम्बन्धी करवाई गोष्ठी के दौरान इन विचारों का प्रकट करते हुए आनन्दपुर साहिब से संसद मैंबर मनीष तिवाड़ी ने इस हत्याकांड सम्बन्धी और खोज किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस गोष्ठी के दौरान इतिहासकार कीश्वर देसई ने संचालक की भूमिका निभाई और गोष्ठी में इतिहासकार मनोज जोशी, वाल्टर रीड और गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के प्रोफ़ेसर सुखदेव सिंह सोहल ने भी हिस्सा लिया।
हत्याकांड सम्बन्धी और खोज और हत्याकांड में मारे गए लोगों की संख्या सम्बन्धी अध्ययन करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मनीष तिवाड़ी ने कहा कि उस समय पर ब्रिटिश साम्राज्य की ज्य़ादतियां चरम पर थीं और लोगों की आवाज़ को दबाने के लिए हर प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि जब महात्मा गांधी भारत लौटे तो आज़ादी की लड़ाई देशव्यापी लहर बनी और ब्रिटिश साम्राज्य के लिए पंजाब बहुत संवेदनशील था।
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