मानसा। हमेशा किसानों की समस्याओं के लिए अलख जगाने वाले पंजाब के
मशहूर साहित्यकार प्रोफेसर अजमेर सिंह औलख का निधन हो गया। इसके बाद उनकी
बेटी ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। औलख की अंतिम इच्छा थी कि उसकी
बेटी चिता को मुखाग्नि दे। उनका अंतिम संस्कार मानसा के रामबाग में किया
गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हजारों की संख्या में आए साहित्यकार, पंजाबी फिल्म जगत और अन्य
चाहने वालों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। औलख अपने नाटक और
साहित्य के जरिए किसानों की समस्याओं को उठाते थे।
गौरतलब है कि 15
जून को 76 वर्षीय औलख का निधन हो गया था। वह पिछले नौ सालों से कैंसर रोग
से पीड़ित थे। उनकी पत्नी मनजीत कौर ने बताया हमें 31 दिसंबर 2007 को ये
बात पता चली थी। उन्होंने बताया कि जनवरी 2008 को डी.एम.सी. से प्रोफेसर
औलख की सबसे पहले कीमोथेरेपी करवाई थी। उन्हें थायराइड का कैंसर था। दिल्ली
के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में उनके थायराइड कैंसर की सर्जरी करवाई थी।
उसके बाद कैंसर कम होने की बजाय शरीर में फैलता रहा व उन्हें बोन कैंसर हो
गया। उनके रीढ़ की हड्डी की सर्जरी भी करवाई थी। कैंसर धीरे-धीरे शरीर के
अन्य हिस्सों में फैलता रहा। प्रोफेसर कैंसर के चलते 14 माह तक दर्द से
तड़पते भी रहे हैं। फोर्टिस में एक विशेष उपकरण उनके शरीर में डाला गया था,
जिसके बाद कैंसर के दर्द से उन्हें राहत मिली थी।
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