कोटली कलाँ (मानसा)। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जम्मू-कश्मीर में शहादत प्राप्त करने वाले अग्निवीर अमृतपाल सिंह के परिवार को सम्मान राशि के तौर पर एक करोड़ रुपए का चैक सौंपा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमृतपाल सिंह के देश के प्रति योगदान के सम्मान में राज्य सरकार उनको शहीद का दर्जा देगी।
मानसा के गाँव कोटली कलाँ में शहीद के पैतृक घर का दौरा करने के उपरांत मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बहादुर सैनिक ने देश की एकता, अखंडता और प्रभुसत्ता की रक्षा के लिए अपना कर्तव्य निभाते हुए शहादत प्राप्त की है। उसके द्वारा दिए गए कीमती योगदान के सम्मान के तौर पर राज्य सरकार का यह विनम्र सा प्रयास है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री ने देश के पहले शहीद अग्निवीर अमृतपाल सिंह के माता-पिता को मिलकर शहीद सैनिक को श्रद्धाँजलि भेंट की है, जिसने 19 वर्षों की उम्र में देश के ख़ातिर शहादत दी। उन्होंने कहाकि दुख की इस घड़ी में सरकार परिवार के साथ खड़ी है क्योंकि यह देश और ख़ासकर शहीद के परिवार के लिए कभी न पूरा होने वाली क्षति है। उन्होंने कहाकि गाँव में शहीद के नाम की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।
शहीद अमृतपाल सिंह को सेना द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर न देने पर सख़्त ऐतराज़ ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भेदभाव वाले इस बुरे दृश्य के साथ फ़ौजी जवानों के मनोबल को चोट पहुँचेगी। उन्होंने कहाकि शहीद जवान अग्निवीर होने के कारण फ़ौज का उसके प्रति यह व्यवहार बहुत दुखदायक है।
उन्होंने कहा कि अमृतपाल के माता-पिता ने अपना बेटा देश की सेवा करने के लिए भेजा था और ड्यूटी निभाते हुए उसकी मौत को शहीद न मानना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है, जिससे गलत मिसाल पैदा होगी। उन्होंने कहा कि यह पहली बार देखा गया है कि शहीद सैनिक की देह को प्राइवेट एंबुलेंस में लाना पड़ा हो, जो सरासर शहीद का अपमान है।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि देश का 60 प्रतिशत बजट रक्षा क्षेत्र के लिए होता है परन्तु फ़ौज द्वारा शहीद अमृतपाल सिंह की देह ले जाने के लिए एंबुलेंस तक भी मुहैया नहीं करवाई गई। उन्होंने कहा कि अमृतपाल की शहादत को खुदकुशी करार देना और भी दुख की बात है। उन्होंने फ़ौज के बयान को ज़ख्मों पर नमक छिडक़ने वाला बताया।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि देश के लिए मर-मिटने का जज़्बा लेकर ड्यूटी पर जाने वाला बहादुर फ़ौजी कभी भी खुदकुशी नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि शहीदों के साथ ऐसा सुलूक किया जाने लगा तो फिर माता-पिता अपने बच्चों को फ़ौज में भेजने से गुरेज़ करने लगेंगे।
अग्निवीर योजना का सख़्त विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना सरासर बहादुर फ़ौजी जवानों के योगदान को अपमानित करने वाली है और केंद्र सरकार को इस योजना पर फिर से विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना के अधीन भर्ती किए गए फ़ौजी सैनिकों को रेगुलर फ़ौज में शामिल किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि देश के शहीदों के प्रति केंद्र चाहे कोई भी नीति अपनाए परन्तु हमारी सरकार पंजाब के ऐसे शूरवीर पुत्रों के परिवारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने देश की एकता, अखंडता और प्रभुसत्ता को बरकरार रखने के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले इस शहीद के परिवार के साथ सौतेली माँ वाला सुलूक करने के लिए केंद्र सरकार की सख़्त आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से ग़ैर-वाजिब है और इस पंजाब के पुत्र की शहादत का निरादर करना अति-निंदनीय है। वह जल्द ही इस मुद्दे को भारत सरकार के समक्ष उठाएंगे।
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