मानसा। पंजाब
के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के ऋण माफ करने के किये
वादे संबंधी अकाली, आम आदमी पार्टी तथा कुछ किसान संगठनों द्वारा किए जा
रहे झूठे प्रचार की कड़ी आलोचना की है। यह वादा पूरा करने के लिए आज
कैप्टन सरकार ने इस योजना की शुरूआत राज्य के पांच जिलों से कर दी है। आज
मानसा में अपनी सरकार की इस ऐतिहासिक ऋण माफी योजना की शुरूआत में वहां
पहुंचे भारी संख्या में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कल
बरनाला के एक किसान द्वारा किए आत्महत्या का उल्लेख किया जिस संबंधी
विपक्षी दलों तथा कुछ संगठनों द्वारा बेशर्मी की हद तक दुष्प्रचार किया
गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट तौर से इस बात से इंकार किया है कि उस
किसान ने ऋण माफी की सूची में अपना नाम शामिल न होने के कारण आत्महत्या की
है। उन्होंने कहा कि इस किसान का नाम सूची में शामिल था जिस संबंधी
विरोधियों ने अपने निहित स्वार्थ हेतू एक झूठा अभियान शुरू किया।
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मुख्यमंत्री
ने अकालियों, आम आदमी पार्टी और कुछ किसान यूनियनों पर प्रश्न उठाये जो इस
दुष्प्रचार मुहिम के पीछे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जो देने के
समर्थ है, वह दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य बड़े वित्तीय संकट
से जूझ रहा है और चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा लगाऐ गए अनुमान की
अपेक्षा भी यह संकट ज़्यादा गहरा है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर समस्या के
बावजूद उनकी सरकार ने ऋण माफी योजना लागू करने के लिए रास्ता निकाला है जिस
संबंधी कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में वादा किया था।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने न केवल
भारतीय जनता पार्टी के शासन सहित दूसरे सूबों द्वारा ऋण माफी से अधिक ऋण
माफ करने का ऐलान किया है बल्कि ऐसा भारी वित्तीय संकट के बावजूद किया जा
रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया जहां 1.5 लाख रुपए तक का ऋण
माफ करने का ऐलान किया गया है। इसी तरह उतर प्रदेश की तरफ से एक लाख रुपए
तक, राजस्थान की तरफ से 50 हज़ार रुपए तक, मध्य प्रदेश की तरफ से एक लाख
रुपए तक और कर्नाटका की तरफ से 50 हज़ार रुपए तक का ऋण माफ करने के किये गए
ऐलान की भी उन्होंने मिसाल दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस
स्कीम की शुरुआत से उनकी सरकार ने एक अन्य बड़ा वायदा पूरा कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने संकेत के रूप में मानसा, बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर और मोगा
जिलों के 10 किसानों को कर्ज माफी के सर्टिफिकेट दिए। इन 5
जिलों में 701 प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाईटियों से लगभग 47,000 किसानों ने
ऋण लिया है। इनके बैंक खातों में यह राशि आ जायेगी। उन्होंने कहा कि इस
स्कीम की शुरुआत उन किसानी समस्याओं के हल करने प्रति एक कदम है जिसके कारण
किसान आत्महत्याए कर रहे हैं। पहले चरण के दौरान 5.63 लाख किसानों को लाभ
पहुंचेगा जिनको 2700 करोड़ रुपए की राहत मुहैया करवाई जायेगी।
कुछ तकनीकी खामियों के कारण कुछ किसानों के इस स्कीम से बाहर रह जाने की
बात करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इन मुद्दों को भी सुलझाया जा
रहा है और जिनकी अभी भी किसी तरह की शिकायतें हैं वह संबंधित एस.डी.एम. या
डी.सी. से संपर्क कर सकते हैं जिनको उन्होंने इन शिकायतों का शीघ्र अति
शीघ्र हल करने का निर्देश दिया हुआ है। उन्होंने कहा कि ऋण माफी स्कीम में
किसी भी योग्य किसान को बाहर नहीं रखा जायेगा। उन्होंने लोगों को भरोसा
दिलाया कि वह ख़ुद निजी तौर पर इस पर नजर रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋण माफी की समूची प्रक्रिया चार
पड़ावों में मुकम्मल की जायेगी और उनकी सरकार इसके लिए स्वयं ही तौर-तरीके
ढूंढेगी क्योंकि इसको केंद्र सरकार से कोई भी मदद नहीं मिल रही। उन्होंने
ऋण माफ करने संबंधी केंद्र की सहायता प्राप्त करने के लिए निजी तौर पर
केंद्र से बहुत सी बैठकें की हैं परंतु केंद्र ने इस मामले पर सूबे को कोई
मदद नहीं दी। इसके बावजूद उन्होंने किसानों के साथ किये इस अहम वादे को
लागू किया है।
सूबे के संकट में घिरे किसानों को इससे बाहर
निकालने के लिए अपनी सरकार की वचनबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि
इस साल सूबे में कपास सहित विभिन्न फसलों का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।
उन्होंने किसानों को भरोसा दिया कि उनको कोई भी समस्या नहीं आने दी जायेगी
और सूबे की वित्तीय हालत स्थिर होने से खेत मज़दूरों के साथ किये वादे भी
पूरे किये जाएंगे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को अपने वादों
की पक्की सरकार बताते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल किसानों के ऋण माफ करने के संबंध
में घटिया राजनीति खेलते रहे जबकि कैप्टन सरकार ने इस प्रति अपनी पूरी
वचनबद्धता और संजीदगी को प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले बादल ने
यह कह कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की कि कैप्टन अमरिंदर सिंह
किसानों के ऋण माफ करने का वादा पूरा नहीं करेगा और अब उसी बात पर पर्दा
डालने के लिए यह कह रहे हैं कि 2 लाख रुपए तक की राहत किसानों के लिए काफ़ी
नहीं है।
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