होशियारपुर। दसूहा के तलवाड़ा पोंग डैम के नजदीक स्थित है प्राचीन मंदिर बथु की लड़ी। हालाकि यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में स्थित है परंतु अगर पोंग डैम से इस मंदिर को देखा जाए तो महज कुछ सौ मीटर महाराणा प्रताप झील के बीचो बीच यह मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह मंदिर द्वापर युग में जब पांडव अपना अज्ञातवास काटने दसूहा पहुंचे थे तब उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर साल के 9 महीने पानी में डूबा रहता है और सिर्फ गर्मियों के मौसम में जब झील का पानी सूख जाता है तब सिर्फ 3 महीने इस मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।
इस मंदिर को बनाने के लिए जिस पत्थर का इस्तेमाल किया गया था उसे बाथू कहा जाता है इसलिए इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी पड़ा। इस जगह पर एक गर्भगृह हैं जहां शिवलिंग स्थापित है। इसके साथ इस मंदिर में कुल मिलाकर 8 मंदिरों का समूह है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कहा जाता है कि ठीक इसी जगह पर भगवान कृष्ण ने पांडवों को स्वर्ग को जाने वाली सीढ़ी बनाने का आदेश दिया था तथा पांडवों द्वारा स्वर्ग की सीढ़ी बनाई भी गई। परंतु किसी कार्यवश वह सीढ़ी पूरी नहीं बनाई जा सकी। आज भी यह स्वर्ग की सीढ़ी इस जगह पर मौजूद है।
देश विदेश से लोग इस 5000 साल पुराने मंदिर के दर्शन करने यहां पहुंचते है।
स्थानीय लोगों का कहना हैं कि हिमाचल सरकार द्वारा इस पुरातन विरासत की देखभाल के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। लोगों ने हिमाचल सरकार और पुरातत्व विभाग से यह मांग की है के इस 5000 साल पुरानी विरासत की देखभाल के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाए ताकि हमारे भारत की पुरातन संस्कृति कहीं विलुप्त ना हो जाए।
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