गुरदासपुर। गांवों के युवाओं की यह पहल वास्तव में सराहनीय और प्रेरणादायक है। जिस तरह से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक-सामाजिक कार्यों को एक साथ जोड़ा है, वह दूसरों के लिए भी एक मिसाल है। अक्सर हम देखते हैं कि पूजा सामग्री और प्लास्टिक के लिफाफे, बोरे आदि नहरों या अन्य जल स्रोतों में फेंक दिए जाते हैं, जिससे जलजीवों और नहर के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। लेकिन तिबरी और पुराना शाला के युवाओं ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए एक सकारात्मक कदम उठाया है।
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"भोले की फौज करेगी मौज" नामक यह संस्था अपने नाम के अनुसार भोले बाबा की कृपा के साथ समाज की भलाई के लिए काम कर रही है। यह पहल ठीक वैसी ही है जैसे देश के कई हिस्सों में युवाओं ने मिलकर स्थानीय नदियों की सफाई शुरू की है। उदाहरण के तौर पर, पुणे में मुला-मुठा नदी की सफाई के लिए युवाओं ने इसी तरह की मुहिम चलाई थी, जिससे न केवल नदी स्वच्छ हुई, बल्कि लोगों में जागरूकता भी फैली।
इन युवाओं का न केवल नहर किनारे कूड़ेदान रखना बल्कि लोगों से संवाद स्थापित कर उन्हें इस दिशा में प्रेरित करना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके लिखे गए नारों के माध्यम से संदेश देने का प्रयास भी यह दर्शाता है कि वे सिर्फ सफाई अभियान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लोगों की मानसिकता को भी बदलने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहल किसी भी त्योहार या विशेष अवसर पर हमारे जल स्रोतों को स्वच्छ रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है, खासकर गणपति विसर्जन जैसे मौकों पर, जब बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और अन्य कचरा जल में समाहित हो जाता है।
यह युवाओं की प्रेरणा है जो हमें याद दिलाती है कि जब हम एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो हम अपने पर्यावरण और समाज को बेहतर बना सकते हैं।
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