अमृतसर। पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कानूनी विशेषज्ञों को न्याय, आज़ादी, समानता और भाईचारे के बुनियादी तत्वों के संवैधानिक स्वरूप को कायम रखने के साथ-साथ ओैर मज़बूत बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जिससे अनेकता में एकता की बहुमूल्य विभिन्नता की समृद्ध परंपरा को सुरक्षित बनाया जा सके।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आज यहां गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी के पूर्व विद्यार्थी के एकत्र -2018 में मुख्य भाषण देते हुये नन्दा ने गलत खबरों कारण देश की लोकतांत्रिक सिद्धांतों को पेश आने वाले गंभीर खतरों संबंधीे अगाह करते हुये समाज को ज़रूरत पडऩे पर इनके खि़लाफ़ सैद्धांतिक स्टैंड लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि सैद्धांतिक स्टैंड लेने से पीछे रह गए तो इससे लोकतांत्रिक तौर पर भारत के अस्तित्व पर ख़तरा खड़ा होने साथ-साथ मौजूदा समय में मनाई जा रही आज़ादी भी संकट में पड़ जायेगी।
उन्होंने कहा कि हमारी यह जि़म्मेदारी बनती है कि हमारे काम और व्यवहार में हम पक्षपात, रूढि़वादी और पूर्व -अनुमान से दूर रहें और ऐसे दृष्टिकोण को अपनाइए जो न्याय, आज़ादी, समानता और भाईचारे को बरकरार रखे। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा और शिक्षा देने वाले बेमिसाल हैं और आज इनका महत्व ओैर भी बढ़ गया है।
नौजवानों की सोच और योग्यता संबंधीे बात करते श्री नंदा ने कहा कि विद्यार्थियों को योजनाबद्ध अनुसंधानोंकी अच्छी प्रक्रिया की तरफ प्रेरित करने के लिए लगातार कोशिशें होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक विद्यार्थी के लिए क्लास रूम की शिक्षा और भाषण आदि की अनुसंधान की अनंत शुरुआत होनी चाहिए।
दुनिया भर में संस्थाओंं के पुराने विद्यार्थियों की एसोसीएशनों द्वारा शिक्षा के प्रचार के लिए फंड प्रदान करने वाली भूमिका पर ज़ोर देते उन्होंने आई.आई.टी. मद्रास का हवाला देते बताया कि पिछले 8 वर्षों में 5,000 दानकर्ताओं द्वारा अपनी पुरानी संस्था के लिए 177 करोड़ रुपए दान के तौर पर दिए जा चुके हैं। उन्होंने गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अलूमनी एसोसिएशन की प्रशंसा करते उप कुलपति को विनती की कि वह पुराने विद्यार्थियों के सहयोग के साथ इस फंड की शुरुआत करेें जिससे राज्य के सरकारी खजाने पर बोझ डाले बिना खोज कार्य और शिक्षा के स्तर में काम होता रहे। उन्होंने कहा कि विदेशों में बसे यूनिवर्सिटी के पुराने विद्यार्थी इस फंड में बड़ा योगदान डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्थाएंं जो हमारी माँ है, जिसने हमें पहचान और नाम दिया और जीवन की जाँच सिखाई, उसके लिए फंड इक_ा करने के लिए हमें सभी को आगे आना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ीयों भी यहाँ से मानक शिक्षा हासिल करके जाएँ। उन्होंने कहा कि यहाँ से प्राप्त शिक्षा और कौशल आज मेरी सब से बड़ी संपति है।
हिमाचल के दियोटसिद्ध मंदिर में फिर बकरा कांड; 60,000 में बेच डाले 35 बकरे, नीलामी पर उठा सवाल तो जांच शुरू रिकॉर्ड सील
रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष पीएम मोदी की बात सुनते हैं - आरपी सिंह
20 नवंबर से गुनगुने जल से स्नान करेंगे रामलला, ओढ़ेंगे रजाई
Daily Horoscope