अमृतसर। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आज अमृतसर में दुर्गियाना मंदिर कमेटी और विभिन्न हिंदू संगठनों द्वारा एक विशाल विरोध मार्च निकाला गया। इस मार्च का नेतृत्व दुर्गियाना मंदिर कमेटी की अध्यक्ष प्रोफेसर लक्ष्मी कांता चावला ने किया। विरोध प्रदर्शन श्री दुर्गियाना मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न बाजारों से गुजरता हुआ ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में समाप्त हुआ।
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मार्च के दौरान "भारत माता की जय" और "हिंदू एकता जिंदाबाद" जैसे नारे गूंजते रहे। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की और इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया।
प्रो. लक्ष्मी कांता चावला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा असहनीय है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि अब बांग्लादेश को सख्त संदेश दिया जाए। बांग्लादेशी नागरिक भारत में रहकर यहां की सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन उनका रवैया भारतीयों के खिलाफ हिंसात्मक बना हुआ है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा को नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने और बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने की मांग की।
इस विरोध मार्च में हजारों की संख्या में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने हिस्सा लिया। संत समाज और विभिन्न धार्मिक संगठनों के नेता भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। संत समाज के नेताओं ने कहा कि यह केवल हिंदू समुदाय का मामला नहीं है, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है, जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंदू संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर बांग्लादेश सरकार ने हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार नहीं रोका तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए, ताकि भारत में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजा जा सके।
मार्च का समापन जलियांवाला बाग में एक सभा के साथ हुआ, जहां धार्मिक नेताओं और संगठन प्रमुखों ने अपनी बातें रखीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीयों को एकजुट रहना होगा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
सरकार से अपील
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए राजनयिक दबाव बनाया जाए और जरूरत पड़े तो आर्थिक और राजनीतिक कदम उठाए जाएं।
यह विरोध मार्च अमृतसर के नागरिकों के गहरे आक्रोश और मानवाधिकारों के प्रति उनकी संवेदनशीलता का प्रतीक बना। प्रदर्शनकारियों ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर प्रभावी कदम उठाएगी।
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