अमृतसर।
धार्मिक स्थानों पर जीएसटी के बारे आज भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी
केंद्र सरकार की तरफ से एक जुलाई से पूरे देश में जीएसटी लागू किया गया है।
गुरूद्वारे और मंदिरो सहित सारे धार्मिक स्थानों को इससे बाहर रखने की
मांग उठी है। इसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से प्रसाद और लंगर में जीएसटी
की छूट के बाद भी स्थिति कुछ स्पष्ट नहीं हो सकी।
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जीएसटी की लंगरों पर
छूट के बारे में एसजीपीसी सचिव हरचरण सिंह का कहना है की सचखंड श्री
हरमंदिर साहिब में मिलने वाले कड़ाह प्रसाद लेने वाले श्रदालुओ को अब जीएसटी
देना पड़ेगा। इसके साथ ही कड़ाह प्रसाद को बनाने और बाँटने में होने वाले
खर्च का हिसाब देना होगा। इसके बाद ही टेैक्स में छूट मिलेगी हरचरण सिंह
मुताबिक धार्मिक स्थानों में प्रशाद और लंगर पर सरकार की तरफ से जीएसटी न
लगाने का फैसला भी हैरानी जनक है। उन्होंने प्रेस नोट और ट्विटर का हवाला
देते हुए कहा कि प्रसाद के लिए जाने वाले पैसे अब जीएसटी से लिए जायेंगे।
उन्होंने कहा की प्रसाद के लिए जाने वाले पैसे की व्यापारिक काम के लिए
नहीं बल्कि लोक भलाई और गुरूद्वारे के प्रबंध के इलावा गरीब लोगो के इलाज
पढ़ाई और गुरूद्वारे में आने वाली संगत के लिए तैयार किये जाने वाले लंगर
में ही खरच किया जाता।
उन्होंने कहा की सरकार के प्रेस नोट से साफ़ है की
लंगर पर भी किसी तरह की छूट नहीं है क्योंकि लंगर तैयार करने के लिए प्रयोग
में आने वाले सामान को लाने लेजाने के लिए ट्रांसपोर्ट पर भी जीएसटी
लगेगा इसलिए लंगर पर जीएसटी को हटाने का कोई खास फर्क नहीं पड़ा है । हर साल
सरकार को बड़ी रकम टेक्स के रूप में अदा करनी होगी
उन्होंने कहा की
जब सरकार की तरफ से वैट लगाया गया था, तब पंजाब सरकार की तरफ से खास छूट
दी गयी थी। ये छूट लंगर प्रसाद सामग्री और सिरोपे के लिए ख़रीदे जाने वाले
कपडे पर भी थी। सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के इलावा इस तरह की छूट बाकी
तख्तो के लिए भी थी पर जीएसटी लागू होने किए बाद वह लगातार सरकार से मांग
कर रहे थे की इस छूट को बरकरार रखे इस संबंधी [पहले भी वित् मंत्री को
पत्र लिखा जा चूका है और अब दोबारा से चिट्टी लिखी जाएगी
हरमंदिर
साहिब में हर रोज़ लाखों श्रद्धालु लंगर खाते है। श्रदालु भी सरकार की तरफ
से लगाए गए जीएसटी से नाखुश है हरमंदिर साहिब के इलावा अमृतसर के पुरातन
दुर्गयाना मंदिर की कमेटी भी सरकार की तरफ से लगाए गए टेक्स से नाराज है।
उनके द्वारा भी वित्तमंत्री को चिट्टी लिख कर इस तरफ दयान देने के लिए कहा
गया है।
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