अमृतसर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उम्मीद जताई कि जी-20 सम्मेलन दुनिया भर में और पंजाब में शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मज़बूत प्लेटफॉर्म साबित होगा। जिससे नौजवानों को बड़े स्तर पर फ़ायदा होगा।
वे बुधवार को जी-20 एजुकेशन वर्किंग ग्रुप की दूसरी मीटिंग के दौरान बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि इस सम्मेलन में होने वाला विचार-विमर्श न केवल शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाने में सहायक होगा। बल्कि इससे राज्य के नौजवानों का बड़े स्तर पर फ़ायदा होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि बड़े मसलों को हल करने के लिए जी-20 की पुख़्ता कोशिशों से भारत और पंजाब की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भगवंत मान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमन-शांति, बेहतर सहयोग और तालमेल के लिए जी-20 द्वारा की जा रही कोशिशों की भी सराहना की।
ज्ञान को मानवीय जीवन का आधार बताने वाले संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर की विचारधारा का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहाकि राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दे रही है।
भगवंत मान ने कहाकि राज्य सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए 17,072 करोड़ रुपए का बजट रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों को स्कूल ऑफ एमिनेंस में बदलने के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। यह उच्च वर्ग मानक स्कूल ऑफ एमिनेंस विद्यार्थियों का समग्र विकास सुनिश्चित बनाएंगे। यह स्कूल नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करेंगे। इन स्कूलों का निर्माण सहयोग और बुनियादी ढांचे की मज़बूती, अकादमिक, मानव संसाधन प्रबंधन, खेल और सह- शैक्षिक गतिविधियां और कम्युनिटी एन्गेजमेंट के 5 स्तम्भों की बुनियाद पर किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा यह स्कूल उच्च शिक्षा, रोजग़ार, प्रशिक्षण और अन्य क्षेत्रों के लिए कौशल और व्यक्तिगत क्षमता को निखारने के लिए अवसर पैदा करेंगे। उन्होंने कहा कि यह स्कूल इंजनियरिंग, लॉ, कॉमर्स, यूपीएससी और एनडीए के साथ-साथ 5 पेशेवर और मुकाबले वाले पाठ्यक्रमों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे।
पंजाब सरकार राज्य में शिक्षा का मानक ऊँचा उठाने के लिए वचनबद्ध है।
ज्ञान की परस्पर अदला-बदली की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए यह एक प्रेरक के तौर पर काम कर सकता है। पंजाब सरकार पहले ही राज्य के विद्यार्थियों और अन्य मुल्कों के विद्यार्थियों के बीच ज्ञान की परस्पर अदला-बदली को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। यह समय की ज़रूरत है कि विद्यार्थी विश्व की सामाजिक-आर्थिक तरक्की के हिस्सेदार बनें। राज्य सरकार द्वारा प्रशिक्षण के लिए प्रिंसिपल अकादमी, सिंगापुर में 66 प्रिंसीपलों/ अध्यापकों के बैच भेजे गए हैं। वापसी पर यह अध्यापक प्रशिक्षण सम्बन्धित तजुर्बे को विद्यार्थियों और अपने साथी अध्यापकों के साथ साझा करेंगे।
भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए पंजाब शिक्षा एवं स्वास्थ्य फंड कायम किया है, जो प्रवासी भारतीय भाईचारे के सहयोग से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में बड़े सुधारों के लिए अहम साबित होगा। उन्होंने कहा कि महान गुरूओं, संतों और पीरों की इस धरती पर इस मेगा समारोह के प्रबंध के लिए भारत सरकार सचमुच बधाई की पात्र है। अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली मशहूर शख्सियतों का स्वागत करने के लिए यहाँ आना उनके लिए गर्व की बात है।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा और श्रम के विषय के दो सत्रों के लिए इस पवित्र नगरी का चयन करने के लिए भारत सरकार का तहेदिल से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि अमृतसर पवित्र शहर है। दुनिया भर के श्रद्धालु शांति और सुकून की प्राप्ति के लिए नतमस्तक होने के लिए यहां आते हैं। राज्य सरकार अमृतसर को फिर से व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए पूरी तरह से प्रयासशील है। कई नामवर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने इस पवित्र शहर में अपने उद्यम स्थापित करने के लिए गहरी रूचि दिखाई है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में 1960 के दशक के मध्य में हरित क्रांति की शुरुआत हुई। इसके बाद हौजऱी, हैंड टूल्ज़, खेल, ऑटो-पार्ट्स, कृषि यंत्रों, रबड़ और अन्य उद्योगों के रूप में तेज़ी से ओद्यौगीकरण हुआ। अन्नदाता होने के साथ-साथ पंजाब को देश की खडग़ भुजा होने का गौरव भी हासिल है। यहाँ के लोग अपनी हिम्मत और समर्पित भावना के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि यहाँ आने वाले प्रतिनिधि पंजाब दौरे की अच्छी यादों को अपने साथ लेकर जाएंगे। भगवंत मान ने सम्मेलन की सफलता की कामना भी की।
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