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पंजाब के खेतों में अब हो रही हॉलैंड के खीरे की खेती

Cultivation of Holland is now being cultivated in Punjabs farms - Amritsar News in Hindi

अमृतसर। पंजाब के कुछ किसान परम्परिक खेती से निकल कर सब्जियों, फलों और पल्सज की खेती के माध्यम से न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहे हैं। ऐसे ही एक किसान है कुलदीप सिंह धालीवाल जो कि यूं तो अमरीका रहते हैं, लेकिन पंजाब के किसानों को प्रेरणा देने के उदेश्य से ही अमृतसर में अपने गांव जगदेव कलां में हॉलैंड के खीरे की खेती कर रहे हैं। इन्हे उगाने की तकनीक भी यूरोपीयन है।
गांव जगदेव कलां के किसान कुलदीप सिंह धालीवाल साधन संपन्न एनआरआई होने के बावजूद वह खेतों में पसीना बहा रहे हैं। उन्होंने महज एक एकड़ पॉली हाउस के जरिए हॉलैंड वैराइटी का खीरा उगा कर मिसाल पेश की है। यह बीज रहित खीरा तेजी से लोगों की पसंद बन रहा है।
धालीवाल बताते हैं कि खेती के जरिए जागृति लाने केे उद्देश्य से यहां आए और पहली बार हॉलैंड के खास किस्म के फूल जेब्रा की एक एकड़ खेती पॉली हाउस के जरिए शुरू की। खेती तो अच्छी हुई, लेकिन मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण फायदा नहीं हुआ। फिर भी वह इसे लगातार करते रहे। फिलहाल इस बार उन्होंने इस जमीन पर हॉलैंड के खास किस्म के खीरे की खेती की है। उनके साथ उनकी पत्नी जगदीश कौर भी खेत में काम करती है और दूसरों को भी प्रेरित करती हैं।

धालीवाल दंपती का कहना है कि उनका मकसद भी यही है कि हमारा किसान, युवा आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या व ड्रग से बचे और आत्मनिर्भर हो। धालीवाल बताते हैं कि तकनीकी खेती के जरिए किसान फसली चक्र से उबर कर आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकता है। इसमें ड्रिप इरीगेशन के जरिए पानी बचाया सकता है। इस खेती में केमिकल और फर्टिलाइजर का कम इस्तेमाल होता है। यहां से तैयार सब्जियां आम सब्जियों की तुलना में अच्छा मुनाफा दे जाती हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस तरफ सब्सिडी का प्रावधान करें साथ ही किसानों को उत्साहित करते हुए मार्केटिंग की व्यवस्था भी करें। उन्होंने किसानों से भी कहा कि वह शाहखर्ची छोड़ आधुनिक खेती के तोर-तरीकों से जुड़ें।

खीरे की इस प्रजाति के लिए कम से कम 50 डिग्री तापमान होना चाहिए। इसे मेंटेन करने के लिए पॉली हाउस के ऊपरी हिस्से पर लगी पॉलिथीन शीट को सुबह 7 से 11.30 बजे और शाम 6 से सुबह 7 बजे तक बंद रखा जाता है। दिन में गर्मी ज्यादा होने के कारण 11.30 से शाम 6 बजे तक खुला रखा जाता है। कुलदीप सिंह का दावा है की उनकी खेती 90 फीसदी से भी अधिक ऑर्गेनिक है, क्योंकि इन पर किसी तरह का ज़हरीला स्प्रे नहीं किया जाता और इसकी जड़ों में कैल्शियम डाली जाती है। इसलिए यह खीरा सेहत के लिए ख़ास तौर पर गर्मी के दिनों में एक वरदान है। कुलदीप सिंह की खेती की तकनीक यूरोपीयन है, जिससे पानी की भी बचत होती है और धरती का लगातार नीचे जा रहा पानी का स्तर भी इस तकनीक से अधिक प्रभावित नहीं होता। जबकि धान की फसल धरती को लगातार सूखा रही है।

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Web Title-Cultivation of Holland is now being cultivated in Punjabs farms
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