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हिंसा प्रभावित मणिपुर में लोकसभा चुनाव से पहले जातीय मुद्दों से जूझ रहे राजनीतिक दल

Political parties grappling with caste issues ahead of Lok Sabha elections in violence-hit Manipur - Imphal News in Hindi

इम्फाल। देश भर में लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद मणिपुर में गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच 10 महीने से अधिक समय से जारी हिंसा के कारण राजनीतिक दल अपनी रणनीति तय करने के लिए जातीय मुद्दों से जूझ रहे हैं। राज्य में दो लोकसभा सीटों पर मतदान होने हैं।
हालाँकि मणिपुर में 34 अलग-अलग समुदाय हैं, गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी-ज़ोमी तथा नागा लोग राज्य की राजनीति और अन्य चुनावी पहलुओं पर हावी हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर छह जिलों के घाटी क्षेत्रों में रहते हैं। नागा, कुकी-ज़ोमी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और शेष 10 पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

चुनाव आयोग 20 मार्च को दोनों सीटों के लिए वैधानिक अधिसूचना जारी करेगा, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी काँग्रेस सहित प्रमुख राजनीतिक दलों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।

राजनीतिक विशेषज्ञ राजकुमार कल्याणजीत सिंह ने कहा कि जातीय हिंसा को देखते हुए पार्टियों को हिंसाग्रस्त राज्य में मौजूदा जटिल जातीय स्थिति पर विचार करना होगा। सिंह ने आईएएनएस से कहा कि मणिपुर में राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के चयन और चुनाव संबंधी रणनीति तैयार करने में संतुलित विचार करना होगा।

केंद्रीय विदेश और शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने 2019 में भाजपा के टिकट पर आंतरिक मणिपुर सीट जीती थी। नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेता लोरहो एस. फोज़े बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भाजपा के सबसे वरिष्ठ राज्य उपाध्यक्ष नोंगथोम्बम निंबस सिंह ने कहा कि पार्टी ने चुनावों के लिए समग्र कार्य करने के लिए पहले ही राज्य स्तरीय चुनाव प्रबंधन समिति का गठन कर लिया है।

निंबस सिंह ने कहा कि समिति में 32 अलग-अलग विभाग हैं और प्रत्येक विभाग सौंपे गए कार्यों को सुचारू करने की जिम्मेदारी लेगा। समिति के अलावा, चार लाख से अधिक कार्यकर्ताओं वाली पार्टी के सभी सदस्यों ने राज्य भर में बूथ स्तर पर काम शुरू कर दिया है।

उन्होंने बताया कि एक बार जब नई दिल्ली में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति राज्य के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर देगी, तो राज्यव्यापी अभियान शुरू किया जाएगा, जिसके लिए सब कुछ ठीक है। दूसरी ओर, विपक्षी काँग्रेस अलग ही दावा कर रही है। उसके प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता देबब्रत सिंह ने कहा कि उनकी पहली माँग निरंतर जातीय हिंसा को ध्यान में रखते हुए चुनाव स्थगित करने की थी।

उन्होंने कहा कि पार्टी का अनुरोध पहले समाधान लाने और उसके बाद चुनाव कराने" का है। हालांकि चुनाव अनिवार्य है, लेकिन इस समय इसके लिए माहौल अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि चूँकि चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, हमें इसमें भाग लेना होगा।

चुनाव आयोग ने आंतरिक मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र में 19 अप्रैल को चुनाव कराने का फैसला किया है, जबकि बाहरी मणिपुर सीट (आदिवासियों के लिए आरक्षित) पर 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को दो चरणों में मतदान होगा।

इस बीच, भले ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) मणिपुर में काँग्रेस के नेतृत्व वाले 10 'समान विचारधारा वाले' दलों के गठबंधन में भागीदार है, वाम दल ने शनिवार को लैशराम सोतिनकुमार को आंतरिक मणिपुर लोकसभा से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

भाकपा के एक नेता ने कहा कि 14 मार्च को हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पूर्व राज्य परिषद सचिव सोतिनकुमार को आंतरिक मणिपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया गया।

अनुभवी वामपंथी नेता सोतिनकुमार वर्तमान में मणिपुर में एआईटीयूसी के महासचिव हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी बाहरी मणिपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार को पूरा समर्थन देगी।

वामपंथी नेता ने कहा किअगर राज्य में सामान्य स्थिति और शांति बहाल नहीं हुई तो हम लोकसभा चुनाव लड़ने पर पुनर्विचार कर सकते हैं।

कांग्रेस और भाकपा के अलावा, गठबंधन का हिस्सा अन्य दल आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, माकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, शिव सेना-यूबीटी, जनता दल-यूनाइटेड और राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी हैं। कांग्रेस के एक नेता ने उम्मीदवार की एकतरफा घोषणा के लिए भाकपा की आलोचना की और कहा कि इससे भाजपा विरोधी विपक्षी वोट बँट जाएँगे।

मणिपुर में 10,46,706 महिलाओं सहित कुल 20,26,623 मतदाता हैं।

--आईएएनएस

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Web Title-Political parties grappling with caste issues ahead of Lok Sabha elections in violence-hit Manipur
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