पुणे। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार अब कॉलेज मान्यता (कॉलेज एक्रेडिटेशन) की तर्ज पर स्कूल मान्यता प्रणाली लागू करने पर विचार कर रही है। अगर कोई स्कूल अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है तो उसे मान्यता नहीं दी जाएगी और अंतत: स्कूल को बंद कर दिया जाएगा। इससे भारत में शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकेगा। एमआईटी- वल्र्ड पीस युनिवर्सिटी (एमआईटी डब्ल्यूपीयू) परिसर में भारत छात्र संसद के आठवें संस्करण के उद्घाटन समारोह में जावड़ेकर ने कहा कि ‘‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों ने खुद गरीबी और भुखमरी को करीब से देखा है। अगर एक चायवाला हमारे देश का प्रधानमंत्री बन सकता है और एक आम वकील राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंच सकता है तो आज के युवा राजनीति से क्यों डरते हैं, युवाओं को राजनीति के बारे में अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा और राजनीति में शामिल होकर इस बदलाव का हिस्सा बनना होगा।’’ ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, ‘‘नए भारत का यह युग 2022 तक आतंकवाद से मुक्त होगा, जाति, धर्म और भ्रष्टाचार से मुक्त होगा। 21वीं सदी का बच्चा आज का युवा है और वह सही गलत के बीच के फर्क$ को अच्छी तरह समझता है। केन्द्र सरकार ने डिजिटल इण्डिया, नोटबंदी और प्रत्यक्ष लाभ स्थानान्तरण द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर देश के 75 हजार करोड़ रुपये बचाये हैं।’’ केन्द्रीय कपड़ा, सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति जु$ुबिन ईरानी ने एक सत्र ‘इण्डियन डेमोक्रेसी इन ब्लैक एण्ड व्हाईट’ के दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘धर्म नीति लोकतंत्र की खूबसूरती है किंतु राष्ट्रनीति लोकतंत्र की सर्वोच्च विशेषता है। पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक, स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी राष्ट्रनीति है।’’
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ‘‘भारत केवल सुपर कम्प्यूटर की ही नहीं बल्कि सुपर कल्चर की भी धरती है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि कम्प्यूटर और कल्चर यानि संस्कृति दोनों कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ें।’’ अपने आप से सवाल पूछें ‘‘मैं ही क्यों? और मुझे अपने देश के लिए क्या करना चाहिए? अपनी खुद की बैलेन्स शीट बनाइए और सोचें कि आप क्या बेहतर कर सकते हैं।’’
प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ करड़ ने स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कहा, ‘‘स्वामी विवेकानंद ने हमारी भारत माता को नई पहचान दी। युवा होना जीवन की एक अवस्था नहीं है, यह हमारे मन की धारणा है; युवा होने का अर्थ हमारे सुंदर गालों या मजबूत घुटनों से नहीं है; यह हमारी इच्छाशक्ति, हमारी कल्पना और हमारी भावनाओं में मौजूद जोश है। यह हमारे जीवन का बसंत है जो हमें ताजगी का अहसास देता है।’’
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