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संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी ने कहा, भारत को भेदभाव और नफरत से खतरा

The former president will address the RSS program today - Nagpur News in Hindi

नागपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में संघ को आईना दिखा दिया। मुखर्जी ने कहा, ‘भारत की पहचान को भेदभाव और नफरत से खतरा है। ये राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म, जाति आदि से प्रभावित नहीं होता है और जो हमारी 5000 पुरानी सभ्यता रही है उसको कोई भी विदेशी आक्रमणकारी और शासक खत्म नहीं कर पाया।’

प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान धूमिल होती है। भारत विविधताओं से भरा देश है। देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है। यहां की राष्ट्रवाद की परिभाषा यूरोप से बिल्कुल अलग है और भारत पूरे विश्व में सुख शान्ति चाहता है और यह पूरे विश्व को परिवार मानता है।’

उन्होंने कहा कि आज गुस्सा बढ़ रहा है, हर दिन हिंसा की खबर, भेदभाव और नफरत करेंगे तो हमारी पहचान को खतरा होने लगेगा। उन्होंने कहा कि हिंसा, गुस्सा छोडक़र हम शांति के रास्ते पर चलें। विचारों में समानता के लिए संवाद जरूरी हैं। सहनशीलता हमारे समाज का आधार है। उन्होंने भारत की बात करते हुए कहा कि हमारे भारत में 7 धर्म, 122 भाषाएं, 1600 बोली जाती हैं। इसके बावजूद भी 130 करोड़ की पहचान भारतीयों में विविधता और सहिष्णुता में ही भारत बसता है, 50 साल में मैंने यहीं सीखा है। उन्होंने कहा कि यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख मिलकर ही राष्ट्र बनाते हैं, संविधान से ही राष्ट्रवाद की भावना बहती है।

उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि नेहरू ने कहा था सबका साथ जरूरी हैं। राष्ट्रवाद किसी धर्म, जाति या भाषा से बंधा नहीं है। हिंदुस्तान हमेशा से स्वतंत्र समाज रहा है। कई शासकों के राज के बाद भी संस्कृति सुरक्षित रही। 5000 पुरानी हमारी सभ्यता को कोई भी विदेशी आक्रमणकारी और शासक खत्म नहीं कर पाया है। कई लोगों ने सैकड़ों वर्षों तक भारत पर शासन किया, फिर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया। बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी भी आई। भारत के दरवाजे हमेशा से सबके लिए खुले हैं, भारत का राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुंबकम से प्रेरित है। 1800 साल तक भारत दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र रहा। इसी काल में चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा। देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है।

प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘इस बात को सभी ने माना है कि हिंदू एक उदार धर्म है। ह्वेनसांग और फाह्यान द्वारा भी हिंदू धर्म की बात कही गई है। राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचना है और भारत के दरवाजे सबके लिए खुले हुए हैं।’

प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान धूमिल होती है। भारत विविधताओं से भरा देश है। देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है। यहां की राष्ट्रवाद की परिभाषा यूरोप से बिल्कुल अलग है और भारत पूरे विश्व में सुख शान्ति चाहता है और यह पूरे विश्व को परिवार मानता है।’
प्रणब मुखर्जी आरएसएस के स्वयं सेवको को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं। उन्होंने कहा कि देश के प्रति समर्पण ही देशभक्ति है।

इससे पूर्व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि ‘स्थापना के बाद विभिन्न दिक्कतों के बाद भी संघ आगे बढ़ता गया, अब संघ लोकप्रिय है। जहां जाते हैं, हमें स्नेह मिलता है। यह लोकतांत्रिक विचारों वाला संगठन है। इसका काम लोगों को जोडऩा है। संगठित समाज देश को बदल सकता है और सब विविधिताओं का सम्मान करते हुए सनातन परंपरा को बल देने का काम करना चाहिए।’ उन्होंने सरकार बहुत कुछ कर सकती है, लेकिन सब कुछ नहीं कर सकती। सामान्य समाज को जब तक जगाया नहीं गया तब तक देश की हालत ठीक नहीं होगी। आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा, 1911 से प्रयोग करते हुए डॉक्टर हेडगेवार ने 1925 में संघ की स्थापना की। स्वतंत्रता से पहले सभी महापुरुषों को स्वतंत्रता की चिंता थी। उन्होंने कहा, ‘डॉ. प्रणब मुखर्जी को हमने सहज रूप से आमंत्रण दिया और उन्होंने हमारा स्नेह पहचानकर सहमति दी। उनको कैसे बुलाया और वह कैसे जा रहे हैं ये चर्चा निरर्थक है।’

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘डॉक्टर हेडगेवार को अपने लिए कुछ करने की जरूरत नहीं थी। वो कांग्रेस के कार्यकर्ता भी रहे और जेल भी गए। इस राष्ट्र को अनेक महापुरुषों ने खड़ा किया। इसके लिए पसीना बहाया। उनके मत अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद हम सभी भारत माता की संतान हैं।’
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणब मुखर्जी के न्योते को लेकर कहा कि हमारे लिए कोई पराया नहीं है। प्रमुख व्यक्तियों को बुलाने हमारी परंपरा रही है। विविधता में एकता हमारी पहचान रही है। भारत में जन्मा हर व्यक्ति भारत माता का पुत्र है।

इससे पूर्व कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नागपुर पहुंचे मुखर्जी ने सबसे पहले (आरएसएस) के संस्थापक केबी हेडगेवार के जन्मस्थान हेडगेवार भवन का दौरा किया जहां उनका स्वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत से ज्यादा समय तक बोलने के लिए माफी चाहता हूं। इसके बाद उन्होंने वंदे मातरम बोलकर अपना भाषण समाप्त किया।


‘पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार के घर की विजिटर बुक में लिखा, ‘आज मैं यहां भारत माता के महान सपूत के प्रति अपना सम्मान जाहिर करने और श्रद्धांजलि देने आया हूं।’ आरएसएस मुख्यालय नागपुर जाने के प्रणब मुखर्जी के फैसले पर काफी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आईं। आरएसएस के मुख्यालय में प्रणब मुखर्जी का यह पहला और राष्ट्रपति पद से हटने के बाद यह महत्वपूर्ण भाषण होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ एवं दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी पांच बजे आरएसएस के मुख्यालय पहुंचें जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत उनका भव्य स्वागत किया।

इसके बाद प्रणब मुखर्जी आरएसएसे के संस्थापक केबी हेडगेवार के संग्रहालय जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। यहां से पूर्व राष्ट्रपति साढ़े छह बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचेंगे और आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे। वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय जाने के फैसले से नाराज हैं। कांग्रेस नेता और मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी अपने पिता के फैसले से असहमति जता चुकी हैं।

पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी गुरुवार को महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के दीक्षांत समारोह में भाग ले रहे हैं। बीते 25 दिन से चलने वाला यह प्रशिक्षण 7 जून को खत्म हो रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति व दिग्गज कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी हैं। प्रणब दा के कार्यक्रम शिरकत करने से सियासी गलियारों में हलचल है। कांग्रेस और आरएसएस एक-दूसरे के कट्टर विरोधी हैं। इसको लेकर दिग्गज कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम, जयराम रमेश, सीके जाफर शरीफ समेत 30 नेताओं प्रणब मुखर्जी से नागपुर ना जाने की अपील की थी।

इससे पहले कांग्रेस समेत देश के राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि आखिर वह क्या बोलेंगे। तकरीबन 5 दशक से कांग्रेस की राजनीति करने वाले पूर्व राष्ट्रपति का संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेना अप्रत्याशित माना जा रहा है।




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