नागपुर। महाराष्ट्र की नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सोमवार को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल को उम्रकैद की सजा सुनाई। उस पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी का आरोप है।
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कोड गेम्स के जरिए भेजता था जानकारी
जांच में पता चला कि निशांत कोड गेम्स के माध्यम से ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ी संवेदनशील जानकारी ISI को भेजता था। निशांत को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और अप्रैल 2023 में मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने उसे जमानत दी थी। अदालत ने IPC और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (OSA) की धारा 3 और 5 के तहत निशांत को उम्रकैद (14 साल) की सजा सुनाई, साथ ही 3 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। न्यायाधीश एम.वी. देशपांडे ने यह फैसला सुनाया।
जासूसी का पर्दाफाश
निशांत अग्रवाल को 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस और यूपी-महाराष्ट्र एटीएस ने संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ्तार किया था। वह नागपुर स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस के टेक्निकल रिसर्च सेंटर में काम कर रहे थे। निशांत फेसबुक पर दो फर्जी अकाउंट्स से पाकिस्तानी एजेंट्स के संपर्क में थे, जिनका उपयोग वह संवेदनशील जानकारी भेजने के लिए करता था।
एक और इंजीनियर भी था निशाने पर
निशांत के अलावा एक और इंजीनियर भी सेना की नजर में था, लेकिन निशांत की गतिविधियों के खुलासे के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। निशांत ने कुरुक्षेत्र NIT से पढ़ाई की थी और वह गोल्ड मेडलिस्ट था।
ब्रह्मोस मिसाइल की जानकारी
ब्रह्मोस एयरोस्पेस, DRDO और रूस के आर्मी इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम के बीच एक जॉइंट वेंचर है। यह एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। यह दुनिया की सबसे तेज एंटी-शिप क्रूज मिसाइल मानी जाती है।
ब्रह्मोस की विशेषताएं
- यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन से छोड़ी जा सकती है।
- यह रूस की P-800 ओनिक्स क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है और इसे भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
- ब्रह्मोस के कई वर्जन हैं, जिनमें लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च और एयर-लॉन्च वर्जन शामिल हैं।
- जमीन या समुद्र से दागी जाने पर यह 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) अपने लक्ष्य को नेस्तनाबूद कर सकती है।
- पनडुब्बी से ब्रह्मोस को पानी के अंदर 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। इसकी टेस्टिंग 2013 में हुई थी।
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