मुंबई। पुणे के भीमा-कोरेगांव से शुरू हुई हिंसा की आग महाराष्ट्र से गुजरात तक जा पहुंच है। लेकिन, पुणे हिंसा के पीछे किसका हाथ है। इसके लिए पुलिस जांच में जुटी हुई है। सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जाहिर की है कि पुणे के भीमा-कोरेगांव में दलित संगठनों के आंदोलन के पीछे शहरी नक्सल काडर का हाथ है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक नक्सलियों ने भीमा-कोरेगांव में प्रदर्शन और सेमिनार का आयोजन इसलिए रखा ताकि इससे विवाद पैदा हो और उसके बाद पूरे महाराष्ट्र में दलितों का आंदोलन फैल जाए। भीमा-कोरेगांव की हिंसा से ठीक एक दिन पहले मुंबई में नक्सल फ्रंट ऑर्गनाइजेशंस की मीटिंग यलगर परिषद के सीज किए दस्तावेजों के आधार पर एजेंसियों ने यह निष्कर्ष निकाला है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इधर, दलित समाज संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे की गिरफ्तारी और हत्या का मुकदमा चलाने की मांग कर रहा है। पुलिस पर एकबोटे और संभाजी भिड़े दोनों को गिरफ्तार करने का दबाव है लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं। दलित समाज की मानें तो हिंसा के पहले आरोपी संभाजी भिडे हैं, जो इलाके में हिंदुत्व का बहुत बड़ा चेहरा है और दूसरे आरोपी मिलिंद एकबोटे हैं, हिंदू एकता मोर्चा नाम का संगठन चलाते हैं।
आईये जानते है संभाजी और मिलिंद के बारे में
संभाजी भिड़े: संभाजी भिड़े हिंदूत्व का बड़ा चेहरा है। कभी पीएम मोदी ने संभाजी को परम आदरणीय और गुरुजी कहा था। इन पर हिंसा भडक़ाने के आरोप में केस दर्ज हुआ है। माथे पर लंबा टीका और मराठी टोपी और तीखा भाषण इनकी पहचान है। संभाजी भिड़े की सख्शियत ऐसी है कि उनके एक हुक्म पर लाखों युवा एकत्रित हो जाते हैं। पीएम मोदी भिडे का बहुत सम्मान करते हैं। मोदी उनके संगठन शिव प्रतिष्ठान के कार्यक्रमों में जा चुके हैं। संभाजी भिड़े महाराष्ट्र के जाने-माने नेता हैं। वह महाराष्ट्र के सांगली जिले के रहने वाले हैं। भिडे कोल्हापुर में शिव प्रतिष्ठान नाम का संगठन चलाते हैं और मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के अनुयायी हैं।
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