मुंबई। मुंबई महानगर के एक बड़े निजी अस्पताल में एक अंगों के स्मैलिंग करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। महाराष्ट्र में एक जेजे अस्पताल में एक यह घोटाला सामले आया है। इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बीमार जमालुद्दीन के परिवार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की सहायता ली। उनको उम्मीद थी कि अधिकारी घोटाले को उजागर करने में उनकी सहायता करेंगे। अनेक अस्पतालों में फैले इस गिरोह की पहुंच यहां तक है कि अस्पताल के कर्मचारी इनके गलत कार्यों में भागीदारी निभाते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की मुंबई इकाई ने जेजे अस्पताल के एक कर्मचारी तुषार सावरकर को दबोच लिया है। तुषार ट्रांसप्लांट ऑथराइजेशन कमेटी के मुंबई जोन के को-ऑर्डिनेटर्स में से एक था। दूसरा आरोपी सचिन साल्वे माहिम के एसएल रहेजा अस्पताल में प्रत्यारोपण के समन्वयक थे। इन दोनों को मलाड के एक युवक से रहेजा हॉस्पिटल में किडनी प्रत्यारोपण को मंजूरी देने के बदले 1.5 लाख रुपए मांगने के आरोप में दबोचा गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के सूत्रों ने बताया कि घूस की इस रकम को लेकर सावरकर और साल्वे से लंबी चर्चा होने के बाद रोगी के रिश्तेदारों ने 28 सितंबर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संपर्क किया था।
एसीबी के सूत्रों के मुताबिक, रोगी जमालुद्दीन खान (40) को किडनी प्रत्यरोपण की तत्काल आवश्यकता है और जे जे अस्पताल के अंग प्रत्यारोपण कमेटी ने सुनिश्चित करने के लिए कुछ सवाल भी किए थे।पकडे गए आरोपी सावरकर और साल्वे ने जमालुद्दीन खान के रिश्तेदारों से संपर्क करते हुए कहा कि उन्हें 1.5 लाख रुपए देने के बाद आपकी फाइल को स्वीकृति दे दी। एसीबी के सूत्रों ने बताया कि एसीबी ने दोनों को रोगी के रिश्तेदारों से 80,000 रुपए का पहली किश्त लेने पहुंचे थे। सरकारी निर्देशों के अनुसार, राज्य में अंग प्रत्यरोपण निजी अस्पताल में ही क्यों न हो उसकी मंजूरी जेजे अस्पताल की प्रत्यारोपण कमेटी ही देगी।
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