मुंबई । महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा ने एक बड़ा दांव खेलते हुए हाथ आई
मुख्यमंत्री की कुर्सी को शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे को
देकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ा दी है। शिंदे को सरकार
की कमान सौंप कर भाजपा ने अपनी मंशा को भी जाहिर कर दिया है कि उनके लिए
बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व के असली वारिस एकनाथ शिंदे हैं। बाला साहेब के
शिष्य रह चुके, मराठा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एकनाथ शिंदे अगर
मुख्यमंत्री रहते हुए महाराष्ट्र के मतदाताओं खासकर शिवसेना के कट्टर
समर्थकों और शिवसैनिकों को यह समझा पाने में कामयाब हो गए कि वो बालासाहेब
के हिंदुत्व के एजेडें को ही लागू करने के लिए भाजपा के साथ आए हैं तो
उद्धव ठाकरे के सामने अस्तित्व बचाने का गहरा संकट खड़ा हो जाएगा।
अपने फैसले से विरोधियों, राजनीतिक विश्लेषकों और मतदाताओं के साथ-साथ
अपनी ही पार्टी को चौंकाने वाली भाजपा ने एक बार फिर से महाराष्ट्र को लेकर
ऐसा दांव खेल दिया है, जिसने शिवसेना के अस्तित्व और भविष्य को लेकर बड़ा
सवाल खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद जाहिर तौर पर हिंदुत्व,
बालासाहेब की विरासत और शिवसेना पर कब्जा हासिल करने के लिए एकनाथ शिंदे
टवेंटी-टवेंटी के अंदाज में सरकार चलाते नजर आएंगे। शिवसेना के ज्यादातर
विधायक पहले ही उनके साथ आ चुके हैं और आने वाले दिनों में पार्टी के
सांसदों, संगठन के नेताओं खासकर शिवसेना के शाखा प्रमुखों ने अगर शिंदे के
साथ जाना बेहतर समझा तो उद्धव ठाकरे की परेशानियां बढ़ जाएगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
माना
जा रहा है कि, इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने तमाम कयासों को
गलत साबित करते हुए महाराष्ट्र में सत्ता की कमान एक शिवसैनिक को ही थमाने
का फैसला किया। शिवसेना सासंद संजय राउत ने गुरुवार को ही शिंदे को चेतावनी
देते हुए कहा था कि उन्हे शिवसेना ही मुख्यमंत्री बना सकती है, भाजपा
नहीं। लेकिन यह मोदी-शाह के युग की भाजपा है जो पिछले 8 वर्षों से लगातार
अपने फैसलों से चौंकाने का काम कर रही है और एक बार फिर से बड़ी पार्टी
होने और मुख्यमंत्री पद पर स्वाभाविक दावा होने के बावजूद शिंदे को
मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव, महाराष्ट्र में स्थानीय
निकायों के होने वाले चुनाव के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी
बड़ा दांव खेल दिया है।
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