मुंबई। नए वित्त वर्ष की अपनी पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रख सकता है, जैसा कि केंद्रीय बैंक ने पिछले वित्त वर्ष में अपनी लगातार तीन समीक्षाओं में बिना किसी परिवर्तन के प्रमुख ब्याज दरों को छह फीसदी पर रखा था। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों के लिए रेपो या अल्पकालिक ऋण दर में कटौती की उम्मीद है। भारतीय कारोबारी जगत को उम्मीद है कि मौद्रिक नीति में विनियामक तटस्थ रुख बनाए रखे, जिससे अन्य तरीके से दरों में कटौती की उम्मीद बरकरार रहे।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को लिखे पत्र में उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के प्रमुख जोखिम में 2018-19 के बजट में अनुमोदित कृषि वस्तुओं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) शामिल है, जिसे 2019 के आम चुनाव को देखते हुए लागू किया गया है। इसके अलावा वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में भी मजबूती देखने को मिल रही है।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने अपने पत्र में कहा, इन जोखिमों को देखते हुए आरबीआई के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं है। इसलिए एसोचैम को उम्मीद है कि आरबीआई कम से कम ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखेगा।
फिक्की के अध्यक्ष रशेश शाह ने एक बयान में कहा, हम आगामी मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई से संतुलित रुख अपनाने की गुजारिश करते हैं। वे व्यावसायिक उद्यमों द्वारा जोखिम लेने को प्रोत्साहित करें और उद्योग के लिए बेहतर वातावरण बनाने वाले फैसले लें, ताकि निवेश को बढ़ावा मिले और अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़े।
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