गौरतलब है कि 22 नवंबर की रात को कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना
द्वारा यह कहने पर की वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने जा रही हैं, इसके अलगे
दिन ही यानी 23 नवंबर को अजित पवार के समर्थन से भाजपा ने महाराष्ट्र में
सरकार गठन कर लिया था। सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और अजित पवार ने
डिप्टी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। फडणवीस ने ऐसे समय में सीएम पद की शपथ
ली थी, जब यह बिलकुल साफ हो गया था कि भाजपा के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं
है।
देवेंद्र फडणवीस द्वारा सीएम पद की शपथ लेने के बाद बीजेपी ने
दावा किया था कि उसके पास 170 से ज्यादा का आंकड़ा है। कांग्रेस, एनसीपी और
शिवसेना की ओर से राज्यपाल के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए सुप्रीम कोर्ट
में एक याचिका लगाई गई थी। याचिका में राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार
बनाने का न्योता देने के फैसले पर सवाल खड़े कि गए थे। साथ ही यह मांग की
गई थी कि 24 घंटे के भीतर महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाना
चाहिए था।
विपक्ष ने कोर्ट से कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी
जोड़-तोड़ की राजनीति करेगी। रविवार और सोमवार को सुनवाई के बाद मंगलवार
को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया था। कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर
बीजेपी से बहुमत साबित करने के लिए कहा था। लेकिन बहुमत साबित करने से पहले
ही देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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