मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो चुका है, महा विकास अघाड़ी की सरकार सत्ता गंवा चुकी है और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं। हालांकि प्रदेश में लगातार चल रही सियासी उठा-पटक के बीच अब महा विकास अघाड़ी में दरार के आसार दिख रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है-राष्ट्रपत्ति चुनाव में शिवसेना का एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्म को समर्थन देना है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शिवसेना ने राष्ट्रपत्ति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू के समर्थन की घोषणा की है। इसके बाद से ही शिवसेना को कांग्रेस के तंज झेलने पड़ रहे हैं। वहीं बालासाहेब थोराट ने शिवसेना के रूख पर चिंता व्यक्त की है, उन्होंने कहा कि शिवसेना वैचारिक दलबदल पर सवाल उठाया है, जो अभी भी महा विकास अखाड़ी का भाग है।
बालासाहेब थोराट ने शिवसेना को खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रपति चुनाव एक वैचारिक लड़ाई है। यह लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए चल रहा संघर्ष है। वो सभी जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के पक्ष में हैं, यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहे हैं। शिवसेना ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन क्यों किया? उन्होंने इसके कुछ वजह बताए, लेकिन इसके पीछे शिवसेना नेतृत्व की वास्तविक भूमिका के बारे में कुछ नहीं कहा।
इसके अलावा बालासाहेब थोराट ने कहा, शिवसेना एक अलग राजनीतिक पार्टी है, इसी वजह से वो अपने निजी फैसले स्वतंत्र रूप से ले सकती है। जब गैर-लोकतांत्रिक और पैसे के बल पर राज्य सरकार को उखाड़ फेंका गया और शिवसेना के अस्तित्व को चुनौती दी गई। उसके बाद ऐसा फैसला, समझ से बाहर है. शिवसेना महाविकास अघाड़ी का भाग है, लेकिन उन्होंने यहनिर्णय लेते वक्त हमसे कोई बातचीत नहीं की।
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