विशेषज्ञ ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के लिए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव,
विधानसभा के पटल पर पहले राजनीतिक व संवैधानिक परीक्षण के लिए मार्ग
प्रशस्त करेगा। इस मामले में भाजपा व अजित पवार राकांपा विधायकों के समर्थन
का दावा करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा। अन्यथा, सरकार
अपने आप गिर जाएगी। ऐसा हुआ तो इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के
नेतृत्व वाली सरकार द्वारा विश्वास मत पेश करना महज औपचारिकता रह जाएगा।
वर्तमान संख्या बल के दावे के अनुसार, भाजपा ने 170 से ज्यादा विधायकों के
समर्थन का दावा किया है। इसमें भाजपा के 105 व कथित तौर पर अजित पवार का
समर्थन करने वाले विधायक व निर्दलीय व छोटी पार्टियां शामिल हैं। दूसरी तरफ
शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा ने भी 165 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा
किया है।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 288 है। इसमें
विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं। विशेषज्ञ ने कहा कि दोनों दावों को जोडऩे
से एक ऐसी स्थिति बनती है, जहां समर्थन करने वाले कुल विधायकों की संख्या
विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से अधिक है, इसलिए दावों में से
एक भ्रामक या गलत है। और, यह विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में पूरे देश के
सामने आ जाएगा।
(IANS)
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