इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) की युवा शाखा के प्रमुख अमोल
मटेले ने आईआईटी-बंबई प्रशासन को पत्र लिख कर 28 जनवरी को जारी सर्कुलर को
तत्काल वापस लेने की मांग की है। जबकि आईआईटी-बीएचयू के स्टूडेंट फॉर चेंज
ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर आईआईटी-बंबई के अपनी बिरादरी का समर्थन
किया है।
आईआईटी-बंबई 15 सूत्री सर्कुलर में अन्य बातों के अलावा अकादमिक
बिरादरी के लिए हैरान करने वाली बात यह रही है कि उसमें छात्रों को किसी
देश विरोधी, समाज विरोधी गतिविधि से और ऐसी अन्य किसी भी गैरजरूरी गतिविधि
से दूर रहने की हिदायत दी गई थी, जिससे हॉस्टल के शांतिपूर्ण माहौल में
व्यवधान पैदा होता हो। इनमें पंफलेट बांटने, भाषण, नाटक, संगीत जैसी
गतिविविधियां शामिल हैं।
गौरतलब है कि आईआईटी-बंबई पिछले कुछ महीनों से
चर्चा में है, क्योंकि यहां सीएए-एनआरसी को लेकर पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन
हुए हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
मुस्लिम यूनिवर्सिटी में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया गया और हजारों
छात्रों ने 26 जनवरी को 1000 फुट लंबे तिरंगे के साथ एक अनोखी तिरंगा रैली
निकाली थी।
आईआईटी-बंबई के 17 हॉस्टल्स में रह रहे या पढ़ रहे 11 हजार
छात्रों के लिए जारी 28 जनवरी के सर्कुलर को आईआईटी-बंबई फॉर जस्टिस नामक
एक सामूहिक आह्वान के आलोक में देखा गया था। इसमें चार विभिन्न समूह
(अंबेडकर-पेरियार-फुले स्टडी सर्कल, नॉर्थईस्ट कलेक्टिव, आंबेडकर
स्टूडेंट्स कलेक्टिव और चर्चावेदी) शामिल हैं। ये चारों समूह देश भर के
अन्य विश्वविद्यालयों के अपने छात्रा साथियों के समर्थन में नियमित तौर पर
विरोध प्रदर्शन आयोजित करते रहते हैं।
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