मुंबई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई (आईआईटी-बंबई) ने 28 जनवरी को 15 सूत्री आचार संहिता जारी कर विद्यार्थियों को देशविरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों से दूर रहने की हिदायत दी थी। लेकिन इसे लेकर मचे कोहराम के बाद 48 घंटे में ही यह संस्थान इस मुद्दे पर बैकफुट पर आ गया है और अब डैमेज कंट्रोल में जुट गया है।
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आईआईटी-मुंबई प्रशासन ने गुरुवार देर शाम जारी एक बयान में कहा कि आईआईटी-मुंबई यह साफ करना चाहता है कि यह किसी के व्यक्तिगत विचार की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के खिलाफ नहीं है। संस्थान वैचारिक रूप से पूरी तरह गैराजनीतिक है और किसी भी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन नहीं करता है। आईआईटी-मुंबई ने कहा है कि लेकिन संविधान में दिए गए अधिकारों और कत्र्तव्यों के मुताबिक प्रत्येक विद्यार्थी अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए स्वतंत्र है।
बयान में कहा गया है कि 28 जनवरी का सर्कुलर सभी आईआईटीज में हॉस्टल के लिए निर्धारित मानक और मौजूदा नियमों का समुच्चय है, जिसे सभी विद्यार्थियों को यह याद दिलाने के लिए भेजा गया था कि वे हॉस्टल और बाकी शैक्षणिक क्षेत्र में शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल बनाए रखें। बयान में आगे कहा गया है कि यह सर्कुलर छात्र परिषद के साथ विचार-विमर्श के बाद भेजा गया था, जिसमें निर्वाचित छात्र प्रतिनिधि शामिल हैं।
संस्थान ने आगे कहा कि आईआईटी-बंबई देश के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में से एक है, जिसका मकसद उच्च गुणवत्ता वाला शोध करना और ऐसे लोगों को तैयार करना है, जो देश और देश के नागरिकों को लाभ पहुंचा सकें। सर्कुलर को उचित ठहराते हुए आईआईटी-बंबई ने कहा कि इस आचार संहिता पर छात्र संस्थान में दाखिला लेते समय हस्ताक्षर करते हैं, साथ ही उन्हें आईआईटी-बंबई और आईआईटी-मद्रास के हॉस्टल के दस्तावेजों का लिंक भी उपलब्ध कराया जाता है।
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