मुंबई । मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त
परम बीर सिंह को 'भगोड़ा' घोषित करने वाली मुंबई की एक अदालत का आदेश
मंगलवार को यहां उनके जुहू स्थित घर के बाहर चिपका दिया गया है।
अदालत के आदेश में कहा गया है, "सिंह को 30 दिनों के भीतर उक्त शिकायत का
जवाब देने के लिए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, एस्प्लेनेड
कोर्ट, मुंबई या जांच अधिकारी के सामने पेश होना आवश्यक है।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने
कहा कि जबरन वसूली और आपराधिक साजिश से संबंधित भारतीय दंड संहिता की
विभिन्न धाराओं के तहत अदालत के समक्ष एक शिकायत दर्ज की गई है और अदालत को
लग रहा है कि आरोपी सिंह फरार हो गया है या वारंट की सेवा से बचने के लिए
खुद को छुपाया हुआ है।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर पर भ्रष्टाचार
और जबरन वसूली के कम से कम पांच मामलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके
अलावा तत्कालीन गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता
अनिल देशमुख पर अपने लेटर वार के मद्देनजर जांच पैनल जांच के अलावा,
वर्तमान में अगले सोमवार तक न्यायिक हिरासत में है।
पिछले कुछ
महीनों से समन, जमानती और गिरफ्तारी के गैर-जमानती वारंट से बचने वाले सिंह
ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह फरार नहीं हैं और देश में
मौजूद हैं, जिसके बाद उन्हें 6 दिसंबर तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण
दिया गया था।
साथ ही शीर्ष अदालत ने उन्हें जांच में शामिल होने का
भी निर्देश दिया है और मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो और महाराष्ट्र
सरकार को नोटिस जारी किया है।
1998 के आईपीएस बैच के एक अधिकारी,
सिंह को सीओपी के पद से हटा दिया गया था और कमांडेंट जनरल, महाराष्ट्र होम
गार्डस के रूप में पदोन्नत किया गया था, जिसके बाद उन्होंने देशमुख को
निशाना बनाया, जिससे उनका इस्तीफा हो गया और बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने
उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
--आईएएनएस
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