मुंबई। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि भारत को अपनी आर्थिक नीति की सफलता के लिए किसी ‘वाद’ जैसे पूंजीवाद या साम्यवाद में सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘किसी नीति को सफल बनाने के लिए इच्छित लाभ, आंकड़ों और संख्याओं पर ध्यान देना चाहिए। किसी नीति को जांचने का पैमाना यह है कि पिरामिड के आखिरी आदमी तक पहुंची या नहीं।’’ ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भागवत ने यहां बीएसई सभागार में चुनिंदा दर्शकों के बीच ‘सोशियो-इकॉनमिक डायनेमिक्स ऑफ इंडियन सोसाइटी’ किताब को जारी करते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि दुनिया उपलब्ध साधनों के साथ अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है, इसलिए किसी एक सिद्धांत का गुलाम होने से बचना चाहिए। निर्यात को बढ़ाने के लिए भागवत ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण सामानों का निर्यात किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें कृषि, उद्योग और वाणिज्य के बीच संतुलन बनाना चाहिए, ताकि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व कर सकें।’’ भागवत ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था भविष्य में एमएसएमई (लघु, छोटे, मझोले उद्योग) से संचालित होगी। उन्होंने कहा एक समय दुनिया की अर्थव्यवस्था का 24 फीसदी भारत के नियंत्रण में था। भागवत ने कहा कि अब समय बदल गया है और लोगों से आग्रह किया कि संयम से उपभोग करें।
अर्थव्यवस्था के डिजिटलाइजेशन के बारे में भागवत ने कहा कि संपूर्ण कैशलेश समाज संभव नहीं है। इससे पहले नीति आयोग के अध्यक्ष राजीव कुंवर ने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.5 फीसदी रहेगी, 2018-22 के बीच 8.5 फीसदी रहेगी और उसके बाद 10 फीसदी रहेगी।
--आईएएनएस
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