सैयद हबीब, मुंबई। मुंबई के तेज़ रफ़्तार और ऊँची इमारतों वाले इलाके में, जहां सपने जितनी तेज़ी से बनते हैं उतनी ही तेज़ी से टूट भी जाते हैं, वहीं पुलिस ने एक फर्जी निवेश घोटाले का भंडाफोड़ किया है। यह घोटाला मासूम निवेशकों को झांसा देकर करोड़ों रुपये ऐंठने की साजिश थी, जिसमें तकरीबन 30,000 फर्जी सिम कार्डों का इस्तेमाल हुआ।
मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें छह बड़े टेलीकॉम कंपनियों के कर्मचारी भी शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि वे बिना केवाईसी दस्तावेज़ों के सिम कार्ड सक्रिय कर, उन्हें एक मोटे कमीशन पर फर्जी निवेश रैकेट को सप्लाई कर रहे थे। इस षड्यंत्र का मास्टरमाइंड एक व्हाट्सएप ग्रुप था, जिसका नाम था ‘एमएसएफएल स्टॉक चार्ट 33’। आरोपियों ने इस ग्रुप में लोगों को जोड़कर उन्हें शेयर बाजार में मोटा मुनाफ़ा कमाने का सपना दिखाया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पुलिस के अनुसार, इस ग्रुप में जुड़ने के बाद लोगों को एक फर्जी ब्रोकरेज कंपनी में खाता खोलने के लिए राजी किया गया। पीड़ितों के खातों में ‘नकली आभासी मुनाफ़ा’ दिखाकर उन्हें इस धोखे में रखा गया कि उनका निवेश लाभ में है। उनके लालच को हवा देते हुए बार-बार निवेश बढ़ाने की सलाह दी गई। लेकिन यह सब केवल एक जाल था।
बड़ी चतुराई से रची गई इस साजिश का परिणाम यह हुआ कि पीड़ितों ने 51 लाख रुपये से अधिक की राशि इन धोखेबाजों के खाते में डाल दी। पुलिस ने जब इस जालसाज़ी की तह में जाने का प्रयास किया तो एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया—टेलीकॉम कंपनियों के कर्मचारियों ने इस पूरे घोटाले में उनकी मदद की थी। इन कर्मचारियों ने ग्राहकों की बिना केवाईसी के अवैध तरीके से नंबर पोर्ट कर दिए, जिन्हें बाद में जालसाज़ों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाने और फर्जी स्कीम्स को बढ़ावा देने में इस्तेमाल किया।
अधिकारियों ने बताया कि गिरफ़्तार किए गए टेलीकॉम कर्मचारियों में महेश महादेव कदम, रोहित कन्हैयालाल यादव, सागर पांडुरंग ठाकुर, राज रविनाथ आर्डे, गुलाबचंद कन्हैया जैसवार और महेश चंद्रकांत पवार शामिल हैं। इनके अलावा उस्मान अली शेख और अबूबकर सिद्दीकी नाम के दो दुकान मालिक भी गिरफ़्तार हुए हैं, जो इन अवैध सिम कार्डों को फर्जी निवेश योजनाओं में इस्तेमाल के लिए बेचते थे।
मुंबई पुलिस के साइबर क्राइम विभाग ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसका नेतृत्व पुलिस इंस्पेक्टर मौसमी पाटिल और उनकी टीम ने किया। अधिकारियों का कहना है कि यह घोटाला पिछले कुछ महीनों में हजारों मासूम निवेशकों को गुमराह करके उनके सपनों को ठगने का प्रतीक है।
फिलहाल, पुलिस की तफ़्तीश जारी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस गिरोह के और भी गहरे राज़ उजागर होंगे।
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