मुंबई। महाराष्ट्र में विभिन्न बैंकों की 10,000 से अधिक शाखाओं में गुरुवार को सन्नाटा छाया रहा, क्योंकि 50,000 से अधिक कर्मचारी दो दिन की देशव्यापी हड़ताल में शामिल हो गए। हड़ताल का आह्वान विभिन्न उद्योग संघों और बैंक कर्मचारी संगठनों ने किया है। महाराष्ट्र में हड़ताल और धरने का नेतृत्व युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियन (यूएफबीयू) ने किया। बैंक कर्मचारियों ने प्रस्तावित बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया, क्योंकि केंद्र सरकार संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को लाने की योजना बना रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यूएफबीयू के संयोजक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक यदि पारित हो जाता है, तो चालू वित्तवर्ष के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता खुल जाएगा।
हड़ताली बैंक कर्मचारी निजीकरण के विरोध में अपने कार्यालयों के बाहर एकत्र हुए और बाद में यूएफबीयू द्वारा आयोजित दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में एक रैली में शामिल हुए, जहां प्रमुख नेताओं ने सभा को संबोधित किया।
तुलजापुरकर ने कहा कि वक्ताओं में नितेश पावर, योगेश शिखा, देवीदास मेनन, जगदीश श्रंगापुरे, नंदकुमार चव्हाण, जी.एम. नायक, ईश्वर पुथरान और ट्रेड यूनियनिस्ट जैसे ललित सुवर्णा, अविनाश दाउद, मिलिंद रानाडे, विवेक मोंटेरो, भाई जगताप और मैथ्यू गोर्जे जैसे यूएफबीयू नेता शामिल थे।
उन्होंने कर्मचारियों से बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सतर्क रहने की अपील की और देश के सभी ट्रेड यूनियनों से आग्रह किया कि वे बैंक कर्मचारियों का साथ दें, ताकि आंदोलन को और तेज किया जा सके।
यूएफबीयू के संयोजक ने कहा कि देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को सैकड़ों बैंकर दक्षिण मुंबई के बैंकिंग जिले हॉर्निमैन सर्कल में एक 'मानव श्रृंखला' बनाएंगे। (आईएएनएस)
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